Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

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Page 281
________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध चैत्र २३ ४ २५ पश्चान्त्रिकः Ε १२ २६ पूर्वरात्या १६ २४ रचनया १७ १३ पंतो 2) १५ अभान्त्या १७ चतुर्विंशतिं २२ षट् षट् संख्या " " १८ १८ पांचवी 23" "श्रीमन्त्रराजगुणकल्पमहोदधि" " २६ २० ४ इगसेसं މ ވ २१ २२ ފ २७ रोति विधि २ चार तीन दो ६ संस्कृत २१ कथने १६ (७) करणमाह १६ रूप ६ वष्तु क २१ अंका ग्रन्थ का शुद्धाशुद्ध पत्र शुद्ध चेत्र पश्चात् त्रिकः पूर्वरीत्या रचना पङतो अत्रान्त्या चतुर्विंशतिं षट् षट् संख्याः पांचवीं रीति, विधि चार दो इगसेसे संस्कृतम् कथने करण ( ७ ) माद रूपं चतुष्क अङ्काः पृष्ठ २२ " २३ " २४ " २६ ލ " ३० " ३२ " ३३ ३७ " ފ * पंक्ति अशुद्ध २६ तदग्रे ततो २७ स्थापना: ६ चत्वारिंश १४ उस ८ तीन २४ पंक्ति में ४ इकतालिसवा ११ चौधीं २२ गत अङ्का २५ का १४ (४) अपवाद २५ अपवाद ८ षङ्गुणाः १६ परिवर्ताङ्क १४ तत; २५ युता १५ पाचवां शुद्ध तद तनो Aho! Shrutgyanam स्थापना चत्वारिंशं उस २ तीन को में इकतालीसवाँ चौथी गता अङ्का का अपवाद (४) अपवाद एव ८ कोटकों कोष्ठकों १२ तृतीयपंक्तिस्थः तृतीयपंक्ति स्थः ४. ततः षड् गुणाः परिवर्तङ्का युताः पाँचवां ३८ * पाठकों से निवेदन है कि इस शुद्धाशुद्ध पत्र के अनुसार प्रथम ग्रन्थ को शुद्ध कर पीछे पढ़ें।

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