Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

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Page 287
________________ शुद्धाशुद्धपत्र। पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध - शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध १०६ ३ ॥२४४॥२४७॥ ॥२४४.२४७॥ ११२ ६ ॥६॥१७॥ १६-१७॥ ॥२४८॥ ८ यक्त युक्त " २२ (२२) लक्ष लक्ष (२२) " १२ ताल तालु " २४ रुद्ध रुद्ध, ” १४ में (१५) (१५) में १०७ २६ निराध . निरोध १७ को (१६) (१६) को १०६ ३ पाचवीं पाचवों ११४ १६ ॥१४॥ ॥४४॥ " धार धार ” २७ हणं " १४ स्फुलिंग (9) स्फुलिंग स. , , मूह (७) ११५ १० (७) वाले घाले (७) २०निकालं निकाल २१ आंग्नयी आग्नेयी ११६ ४ (२) गुणों गुणों (२) ११० १ ॥११ ११६ " ४ पाता है । पाता है ॥६॥ " ४ मण्डल [२] [२] मण्डल कुन्द " ११ धारण धारणा |" ७ (४) में " १८ शरभ - शरभ और | " ६ ॥६॥ ॥६३॥ १६१ २ मातृका [२] मातृका [२] " २६ सिंह का २ (६) २ (३) पद पद (३) " २ मातृका [२] . मातृका [३] " १४“अकार “अकार" ६ आठ (३) दल आठ दल (४) " १८ जीवों वीजों ६ पम (9) पद्म (५) ११८ १४ राग राग, ८ रम्य (५) रम्य (६) " . १५ (१७) तीर्थकों तीर्थकों(१७) ६ पद (६) का पद का (७) ११६ २ क्षोभणादि(१) क्षोभणादि(२) १० पद (७) का पद का (८). " ४ याला वाला ११ आद्य (८) आद्य (8) | " ५ सणि मणि ११ वर्ण (6) वर्ण (१०) " १३ ध्यान हैं ध्यान है १२ करे, (१०) करे, * | १२० २ प्रकार, प्रकार २६ "अह" "अहं" ६ मृषा (५) भाषी मृषाभाषी (५) २६ - अर्थात् *-अर्थात् २० होते है होते हैं २७ आण २० तया सिंह, (२) तथा Aho! Shrutgyanam

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