Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

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Page 291
________________ चक्षु, शुद्धाशुद्धपत्र । पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शद्ध " १६६३ ध्पान १७ सव नव " २२ सात्विको सात्त्विकोही " २२ प्राणितमिति प्राणिनमिति -१६७ २३ "सब” "सव्व” ___ २३ नाहिये चाहिये " २६ सर्वोऽहधर्मः: सर्वोऽहद्धर्मः " २६ गन्ध गन्ध, " १३ सर्व सार्व | " २६ हुआ हुआ, -१६८ १७ साधओं साधुओं १७६ २६ चक्षु १६६ ६ चरित्र चारित्र द्वेष का १७० ८ जिसको जिसके " १५ रागद्वेष राग और द्वेष ” १४ । ११) (१०) १८० १० चरित्र चारित्र " १५ (१०) सोते हुए.. " २० नियमादि नियमादि ” १२ चरित्र चारित्र चारित्र " २७ वाला वाले ” १६ चरित्र " २६ छल " २८ वाला वाले | १८१ १७ [८] १७११ पराणत्ती परणत्तो [१५] " ६ चाहिये चाहिये [१६] १७२ १० “होइ मगल" "होइ मङ्गलं" ” २३ निवृत्ति . निवृत्ति, . | १८२ २५ निद्रा २ " २४ 'होय मंगलं, 'होइ मंगलं, निद्रा निद्रा " २६ छन्वव छन्वय १७३ ३ पान .. " २८ संरोहा संरोहो. " चाहिये चाहिये " २७ निगाहो » १५ सिद्धि निग्गहो ” २८ जो ए " २८ कर्मा के के कर्म १८३ ११ ॥ " २८ ६-अर्थात् ७- अर्थात् " १५ प्रासार्य प्रसार्य १७४ ११ वह वहां " २१ ॥६॥ " २६ सम्ह समूह " २२ गद्यपद्याभ्या . गद्यपद्याभ्यां १७५ २ समय समय १८४ २७ ( उदासीनता) ( उदासीन) १७६ २० जगत् य जगत् त्रय १७७ २५ भाषा भाषा में " ३ जो . यह जो १७८ ३ सिद्ध सिद्धि | १८६ १७ सहस्त्रों सहस्रों . * १६ गुणों गुणो " २८ प्रातपादना प्रतिपादन चाहिय सिद्ध जो य Aho! Shrutgyanam

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