Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

View full book text
Previous | Next

Page 285
________________ शुद्धाशुद्धपत्र । शद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ८६ . २ (१) लघुता शुद्ध लघुता (१) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ८० १४ नहीच नहीं " २८ णह णाह ८१ ११ विस्तृत होताहै, विस्तृत होता है,अर्थात् उत्प. न होता है, " ४ अतीक्ष्ण . १९ “अषति" • “अतीक्ष्ण" "अषति" " अर्थात् युक्त [४] विप प्रह्वी कोमल, [४] युक्त २१ कि २६ पही २७ कोमल " २४ कि " २६ ताला ८२ ५ का है, ८२ ६ उनके " १२ किप १४ अकार २२ कलशं २३ किए ८३ ६ “हन्ताः है " १२ किप " १८ “मोद् है” ८४ १ समृद्धि ५ काम " १५ नम " २०) अहः २६ चक्काओ ८५ १८ हन्” . " १६तू " २२ (८) दानार्थक किर माला का है, जिसमें " अर विद्यमान है उसे अरिका हते हैं अरि ना-” म चक्र का है, ८८ उनका क्विा . उकोर (मलशं विम् ". "हन्ताः ” है, किप “मोद्” है. समृद्धि को ११ ऋतुओं ऋतुओं १२ कि जो १२ व २५ “मौः” २८ प्रधान प्रधान, १८ जीव वाचक(६) जीव(६)वाचक २६ विकार हैं विकार है २६ शोक शोक, २७ ज्योतिष ज्योतिष १५ शुक शुक्र १८ उनक्ति उनत्ति १५ अर्थातू अर्थात् २३ होती है, होती है) ४ होता) है, होता है, ८ स्वराणां "स्वराणां ५ इंःखं ५ यहा .. यहा ५तत्पच्छ तत्पुच्छ साद काम, नाम (अहः "चकाओ “हन्" ६२ . ". दानार्थक (८) " Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294