Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

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Page 286
________________ पैर (६) . श्रीमन्त्रराजगुणकल्पमहोदधि । पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ६२ १२ नवरसों (६) नव'६)रसों EE १६ हुश हुआ हुआ १८ मस्तकमें धारण मस्तक में " . २२ दुर्बल (दुर्वल) कियाहुआ रूपके रस.. ज्ञानके लियेहोता १३ । तृतीय तृतीयः है मस्तक में " धर्म्य धर्म २२ धारण धारणा १२ माध्यस्थ माध्यस्थ्य १०० १६ समान समान कान्ति १४ ३ वाले देव चाले, देव वालाहै॥४३॥ " ५ माध्यस्य माध्यस्थ्य वारुणमण्डल है तीर्थ (११)स्थान तीर्थस्थान(११) अर्धचन्द्र (6) " १२ कार्योत्सर्ग कायोत्सर्ग के समान १५ १ पेर १६ वारुण वारुण (6) २४ स्थापित स्थापित, " २३ मेल - २५ आर्द्र आद्र २४ हई ७ अङगुल अङ्गुल २४ जिन. जिन- १०२ ५ सूयमार्ग सूर्यमार्ग ११ भेदोंमें भेदोंमें (३) ७वाय वायु १५ करता करना वाथु वायु २० (८) में १०३ ५ चन्द्र में ही सं. सूर्य में संक्र- ७ शान्ति शान्त क्रमण (४) मण (४) १२ ॥१३) १०४ ११ शरद १८ वाय - वायु १०५ ८ देखो ६८ १६ निरोगता . नीरोगता - भौम(१०) को भीमको(१०) २१ उसी उसी २ १२ ॥२५॥ ॥२४॥ २४ लाला लाल २६ प्रदीप्त प्रदीप्त " २७ उल्लङ्घन उल्लवन, ६ वरुण (११)को वरुणको(११) २८ वाले वाला १० पवन (१२) को पवनको (१२) १६ ५ तालु नासिका तालु, नासिका , १० हुताशन हुताशन को " ७ तदन्तर तदनन्तर (१३) को (१३) 2 १५ जिहवा जिह्वा " २९ स्फुटित स्फुरित मेल, Aho! Shrutgyanam

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