Book Title: Jain Subodh Ratnavali Author(s): Hiralal Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad View full book textPage 8
________________ ॥ग्रंथकर्ताका संक्षिप्त जीवन चरित्र ।। मालवादेशके इन्दौर स्टेटके रामपुरे जिल्लामें 'कंजरडा' नामक ग्राममें औसवाल ज्ञाति के सेठ 'रत्नचंद्रजी' रहते थे, जिनकी सुपत्नी “राजांबाई' के संवत् १९०३ में जवाहरलालजी, संवत् १९०९ में हीरालालजी, और संवत् १९१२ में नंदलालजी, यों तीन पुत्रोंकी प्राप्ती हुई. वहां रत्नचन्द्रजीके साले देवीलालजी भी रहतेथे. उसवक्त श्री साधुमार्गी जैन धर्मके प्रकाशक परमपूज्य मुनिराज गच्छाधिपति श्री हुकमीचन्द्रजी महाराजके सम्प्रदायके मुनिवर श्री राजमलजी महाराज कंजरडा ग्राममें रे और सद्बोध अमृत रससे भव्य जीवोंको करने लगे, मुनिराजश्रीका बोध सेठ रत्न.Page Navigation
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