Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad

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Page 16
________________ (२) जरणी उरधारं, जग यशकार तिउलोक तारं गुरूज्ञानी ॥ प्र० ति०॥ अमरपतिराया, सब मिल आया; . हर्ष उमाया अघानी. ॥ जय ॥ २॥ प्रभू मेरु शिखरं, भरभर नीर; धररर धररर जलधारं ॥ प्र० धर ॥ अति कळश सुचंगं, निर्मळ गंगं; भभभभ भभभभ भभकारं ॥ जय ॥३॥ इंधवीनादं, घोर अगा, सादं सजते अति भारं ॥ प्र० सादं०॥ गाजत अंम्बर, अति आडम्बर; झणणण झणणण झणकारं ॥ जय ॥४॥ देवी देवा, हर्ष उमेवा; हडडड हडडड हिंसारं ॥ प्र० हड० ॥ रुप वेक्रयतं, हयगय हरितं;

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