Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ भावत हुवे विचरने लगे. श्री राजांजी महासती सं० १९४८ में रामपुरे ग्राममें ११ दिनका सेथारी कर स्वर्ग पंधारे. और श्री रत्नचंद्रजी महाराज सं. १९५० के अपाडे मासमें जावरां में स्वर्ग पधारे. और तीनों मुनिराज विद्यमान हैं. . १:श्री जवाहरलालजी महाराज ज्ञानानन्दमें तल्लीन हो आत्मध्यानमें आत्माको भावते हुवे विचरते हैं. २ श्री हीरालालजी महाराज कविः त्वशक्ति प्रगटनेसे अनेक चरित्र और स्तवन सज्झाय सवैया लावणी वगेरः रचते हैं. और. ३ श्री नन्दलालजी महाराज श्यादाद शैलि युक्तं चर्चा कर जैन शासन दिपाते हैं.. . --.. .. .. .- मुनिगुणा रोगी " . पन्नालाल जमनालाल रामलाल कीमती. . . . । . ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 221