Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad

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Page 12
________________ १६ गुरु उपकार स्तवन. २८ | २७ उपदेशी गजल. ४९ १७ विहारकरते मुनीरा | २८ सम्यक्त्वकी गजल. ५० जमे विनती स्तवन २९ । २९ स्मरण विधी दर्शक १८ श्री जिनवाणी सुण महाड. ५२ नेकी उत्सुकता-स्तवन३१ ३० सद्वौध-गरवी. ५३ १९ श्री जिनराजसे वि- | ३१ उपदेशी-पद. ५४ नंती स्तवनः ३३. ३२ उपदेशी पद मोक्ष२० ईश्वरसे प्रार्थना - । का बटाउ. ५६ गजल कव्वाली. ३५ । ३३ ज्ञान बगीचा लावणी.५८ २१ उपदेशी लावणी. ३६ ३४ आत्मज्ञान-लावणी. ६० २२ लोक स्वरुप दर्शक. ३५ पंडित लक्षण-लावणी.६२ ____ लावणी. ३९ ३६ पद-क्रोध निषेध. ६४ २३ श्री गुरु उपकार ३७ पद-सम्यक्त्वीको लावणी. ४१ हितशीक्षा. ६५ २४ वैरागी और स्त्रीका ३८ पद-त्रष्णांकी फांस. ६७ प्रश्नोत्तर-स्तवन. ४४ । ३९ पद-वैरागी के वाक्य ६८ २५ वैरागीसे स्त्रीकी वि- ४० पद-सद्गुरु बौध. ६९ नंवी-स्तवन. ४६ ४१ पद-सच्चामीत्र-गजल २६ फूट और सम्पविषय कव्वाली. गजल कव्वाली. ४८ | ४२ पद-सद्बोध.

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