Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): Mahendramuni, Jethalal S Zaveri
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 13
________________ (५) तुलनात्मक अध्ययन २८७-३०१ आइन्स्टीन का विश्व और जैन लोक २८७-विस्तारमान विश्व और जैन लोकालोक २८९-आरोह-अवरोहशील विश्व और अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी २९२-सादि विश्व सिद्धान्त और जैन दर्शन २९४-सान्त विश्व-सिद्धान्त और जैन दृष्टिकोण २९५-निष्कर्ष का नवनीत २९६ अभ्यास-२९९ ८. जैन दर्शन में पुद्गल ......... ३००-३२० (१) जैन दर्शन में पुद्गल ३००-३११ पुद्गल का नामकरण/परिभाषा ३००-पुद्गल के लाक्षणिक गुण और गुणों की पर्याय ३०१-पुद्गल की विशिष्ट पर्याय ३०१-१. शब्द ३०१-२. बन्ध ३०३-३. भेद ३०४४. सौक्ष्म्य, ५. स्थौल्य ३०५-६. संस्थान (आकार) ३०७-७. प्रकाश, ८. अंधकार ३०७ (२) पुद्गल का सामान्य स्वरूप ३११-३२० (१) पुद्गल अस्तिकाय है ३११-(२) पुद्गल सत् और द्रव्य है ३११-(३) पुद्गल नित्य, अविनाशी है-तत्त्वान्तरणीय नहीं है ३१२-(४) पुद्गल अचेतन सत्ता है ३१२-(५) पुद्गल परिणामी है ३१२-(६) पुद्गल गलन-मिलन-धर्मा है ३१४–परमाणु मिलन के नियम ३१७-(७) पुद्गल संख्या की दृष्टि से अनन्त है ३१७-(८) पुद्गल जीव को प्रभावित करता है ३१८-पुद्गल का वर्गीकरण ३१९ अभ्यास-३२० ९. जैन दर्शन और विज्ञान में परमाणु......... ३२३-३४१ (१) जैन परमाणुवाद ३२१-३२९ चार प्रकार के परमाणु ३२१-परमाणु की परिभाषा ३२२-परमाणु के गुणधर्म ३२३-परमाणु की विस्तृत व्याख्या ३२४-परमाणु की गति के नियम ३२६-परमाणु की प्रतिघाती और अप्रतिघाती गति ३२७-परमाणु का तीव्रतम वेग ३२८ (२) आधुनिक विज्ञान में परमाणु-सिद्धांत ३२९-३३३ विकास-वृत्त ३२९-अल्फा, बीटा तथा गामा का क्षय(रेडियोधर्मिता) ३२०-क्वाण्टमसिद्धान्त ३३१-प्रारम्भिक क्षण ३३१-क्वार्क : पदार्थ का मूलभूत कण ३३१-मूलभूत कण का वेग ३३१-आकर्षण के बल ३३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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