Book Title: Jain Arti Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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विश्वशांति महावीर विधान की आरती
विश्वशांति महावीर विधान की, आरति कर लो आज।
तीर्थंकर महावीर की महिमा, गाओ सब मिल आज।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती।।टेक.।।
तीर्थंकर की परम्परा में, चौबिसवें तीर्थंकर।
सत्य अहिंसा अनेकान्त के, पोषक वीर जिनेश्वर।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती॥१॥
पितु सिद्धारथ माता त्रिशला, के नन्दन महावीरा।
___ चैत्र सुदी तेरस को कुण्डलपुर में जन्मे वीरा।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती॥२॥
छब्बिस सौवाँ जन्मकल्याणक, महावीर का आया।
शासन औ जनता ने मिलकर, उत्सव खूब मनाया।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती॥३॥
छब्बिस सौ गुण के सूचक, छब्बिस सौ मंत्र हैं इसमें।
गणिनी माता ज्ञानमती ने, रचा पाठ भक्ती से॥ आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती॥४॥
मेरु दर्शन के मंडल पर, रत्न चढ़ाए जाते।
श्रद्धा से पूजा कर श्रावक, भक्ती का फल पाते।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती।।५।।
घृत दीपक से आरति करके, भव आरत टलता है।
तभी “चन्दनामती” हृदय में ज्ञानामृत बहता है।। आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती, आओ सब मिल उतारें प्रभु आरती॥६॥
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