Book Title: Dandak Tatha Laghu Sangrahani Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ नव्याः ! ए पद शा माटे कह्यं ? तो के जव्यजीवोने सावधानपणे करी श्रवणोत्सुक करवा माटे का बे. उक्तं च ॥ " अप्रतिबद्धे श्रोतरि, वक्तुर्वाक्यं प्रयाति वैफल्यं” ए पदनो अर्थ ए ने के, जो सांजलनार सावधानपणाए करीने श्रवण न करे, तो कहेनारनुं वाक्य निष्फल थाय बे, माटे श्रोताजनोने संमुखी करणार्ये ए पद लख्यु बे; माटे हे नव्यजनो! तमे ( सुणेह के० ) शृणुत, एटले श्रवण करो ॥ ए प्रथम गाथानो लेशथकी अर्थ कह्यो ॥१॥ हवे चोवीश दंडकनां नाम एक गाथाए करी कहे छे. नेरझा असुराई,-पुढवाईवेशदियादन चेव॥गन्नयतिरियमणुस्सा, वंतर जोइसिय वेमाणी ॥३॥ ____गाथा २ जीना छुटा शब्दना अर्थ. नेरइआ-नैरयिक, नारकी (१). गप्भय-गर्भज. असुराइ-असुरकुमारादिक (१०) तिरिय-तिर्यंच (१). बुढवाई-पृथिवीकायादि (५). मणुस्सा-मनुष्य (१). बेइंदियादओ-बेइंद्रियादि (विकलें बंतर-व्यंतर. (१) द्रिय) (३). जोइसिय-ज्योतिषी (१). वेब-निश्चे. वैमाणी-त्रैमानिक (१). ओ-बेईद्रिका (३). जापानिक (१).Page Navigation
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