Book Title: Dandak Tatha Laghu Sangrahani Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ प्रकारना बे. तेमा आठ प्रकारना व्यंतर अने आठ प्रकारना वाणव्यंतर, ए व्यंतर देवोनो एक दंदक जाणवो. एवं बावीश दमक थया. __तथा (जोइसिय के० ) ज्योतिष्काः, एटले ज्योतिषी जे चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र अने तारा ए पांच प्रकारना ले. तेनो एक दंमक जाणवो. एवं त्रेवीश दंगक थया. ____तथा (वेमाणी के०) वैमानिकाः, तेमां “वि" एटले विशिष्ट पुण्ये करी जीवोथकी, “मान्यते” एटले उपजोग थोय जे जेनो, ते विमान कहीए. ते विमानने विषे रहेला जे देवो, ते वैमानिक देवी जाणवा. एवं चोवीश दमक थया. ए वैमानिक देवो बे प्रकारना डे. तेमां एक कल्पोपपन्न अने बीजा कल्पातीत. तेमांकल्प ते स्थिति, जाति, सामानिनिकादि व्यवस्थारूप मर्यादा , तेने प्राप्त थयेला, ते कल्पोपपन्न सौधर्मादि वार देवलोकना देवो जाणवा, अने नव ग्रैवेयक तथा पांच अनुत्तरवासी जे देव, ते कट्पतीत जाणवा. (चे० के० ) चैव चकार समुच्चयार्थमां . तथा एव शब्दPage Navigation
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