Book Title: Dandak Tatha Laghu Sangrahani
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ निश्चयार्थमां . ए रीते नैरयिकनो एक, असुरादिकना दश, पृथिव्यादिकना पांच, बेइंद्रियादिक विकलेंद्रियना त्रण, गर्नज तिर्यच अंने गर्नज मनुष्यना बे, व्यंत. रनो एक, ज्योतिषीनो एक, वैमानिकनो एक, एम सर्व मली चोवीश दमक जाणवा. या गाथामां दमक एवो शब्द ग्रहण करयो बे, ते तजातीयसमूहप्रतिपादक जाणवो. अहींयां सूक्ष्म अने अपर्याप्ता जीवो घणुं करीने अधिकृत करया नथी. ए चोवीश दमकनां नाम कह्यां ॥२॥ हवे शीरीरादि चोवीश द्वारोनां नामनुं स्वरूप गाथाद्वये करी कहे छे. ॥ संखित्तयरी न इमा, सरीरमोगादणा य संघयणा ॥ सन्ना संगण कसाय,- लेस इंदियउसमुग्घाया ॥३॥ दिछी दसणनाणे, जोगुवउँगोववायचवणविई ॥पज्जत्ति किमादारे, सन्नी गइ आगई वेए ॥ ४ ॥

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