Book Title: Dandak Tatha Laghu Sangrahani
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 12
________________ १२. तेमज चोथुं तैजस ते तेजना पुनो विकार, ते तैजस शरीर जाणवुं. अर्थात् जोजन करेला आहारपरिमननुं कारण, ते कारणने वश विशिष्ट एवा तपथकी रुडे प्रकारे उत्पन्न थयेला एवा लब्धिविशेषथी युक्त पुरुषने तेजोलेश्यानुं जे निर्गमन, ते तैजस शरीर जोणवं. तेम पांचमुं कार्मण शरीर ते कर्मनो जे विकार, ते कार्मण जाणवुं. ते कर्मपरमाणु यात्मप्रदेश साथे झीरनीरनी पेठे अन्योऽन्य अनुगत बते शरीरपथाए परिणाम पामे बे, तेने कार्मण शरीर कहे बुं हवे शरीर एटले शुं ? तो के " शीर्यते " एटले प्रतिदिन जीर्ण थाय बे, ते शरीर जाणवुं यात्री रीते पांच प्रकारनां शरीर मध्येथी पूर्वोक्तं चोवीश दंरुकमहिला कया कया के कयां कयां शरीर होय ? एम कहे, ते प्रथम शरीरद्वार जाणवुं. २ बीजं ( उगाहणा के० ) अवगाहना एटले अवगाहनाद्वार. ते " अवगाहंते" एटले रहे बे जीवो जेने विषे, ते अवगाहना जाणवी. ते चोवीश दनकमहिला कया कया दंमके केटली केटली शरीरनी जं -

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