Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-मेषज्य-रत्नाकरः
[ सकारादि
सेंधा नमक, मनसिल, ततैनका घर, पीपल, हल्दी और पीपलके समान भाग मिश्रित चमेलीके फूल और हल्दी इनका समान भाग चूर्ण चूर्णको लोहे या तांबेके पात्रमें डालकर पानीके ले कर कांसीके पात्रमें डालें और उसमें थोडासा | साथ कांसीकी मूसलीसे घोरें। शहद मिला कर उसे तांबेकी मूसलीसे खरल करें। इसे भी आंखमें लगानेसे नेत्रपीड़ा नष्ट इसे आंखमें लगानेसे पिल्ल रोगका नाश
होती है। होता है।
(८१०३) सैन्धवाद्यञ्जनम् (४)
(ग. नि. | नेत्र.) (८१०१) सैन्धवाद्यञ्जनम् (२) लवणं सैन्धवं तक्रं मरिचं कांस्यभाजने । ( यो. र. । नेत्ररोगा. ; शा. सं. । खं.
निघृष्य नेत्रयोर्दत्तं हन्ति रोगं कफोद्भवम् ।
स्त्रीपयो यावको हिङ्गत्रय नेत्रभृतं द्रुतम् ।। ३ अ. १३)
दहत्यक्ष्णोः स्थितं दुःखं शुष्कं दारु यथाऽनलः ।। दग्ध्वा ससैन्धवं लोभ्रं मधुच्छिष्टयुते घृते। सेंधा नमक और काली मिर्च के समान भाग पिष्टमञ्जनलेपाभ्यां सयो नेत्ररुजापहम् ॥ मिश्रित चूर्णको कांसीके पात्रमें डालकर तक्रके
१-१ भाग सेंधानमक और लोधको शराव-साथ घोटें । सम्पुटमें बन्द करके भस्म करें और फिर दोनोंको इसे आंखमें लगानेसे कफज नेत्ररोग नष्ट पीस लें । तदनन्तर ४ भाग धीको गरम करके | होते हैं । उसमें १ भाग मोम मिलावें; इस धीमें उपरोक्त कुलथी और हींगके समान भाग मिश्रित भस्म मिलाकर रगड़ा बना लें।
चूर्णको स्त्रीके दूधमें खरल करें।
इसे आंखमें लगानेसे नेत्र पीड़ा शीघ्र नष्ट इसे आंखमें लगाने और आंखके बाहर लेप
हो जाती है। करनेसे नेत्रपीड़ा शीघ्र ही नष्ट हो जाती है ।
___ (८१०४) सैन्धवाद्यञ्जनम् (५) (८१०२) सैन्धवाद्यञ्जनम् (३)
(वृ. नि. र. । सन्निपाता.) (ग. नि. । नेत्ररोगा. ३) अञ्जनं सम्यगारब्धं मधुसिन्धुशिलोपणैः ।
प्रमोहद्रोहिभवति भाषितं भिषजां वरैः ।। आयसे ताम्रपात्रे वा सैन्धवं दधिमर्दितम् ।
सेंधा नमक, मनसिल और काली मिर्च; कांस्यघृष्टे निशाकृष्णे त्वञ्जनं चाक्षिशूलहृत् ।।
| इनके समान भाग मिश्रित चूर्णको शहदमें सेंधा नमकको लोह या ताम्रके पात्रमें दहीके | खरल करें । साथ खरल करें।
___ इसे आंखमें लगानसे सन्निपातकी मूळ इसे आंखमें लगानेसे नेत्रपीड़ा नष्ट होती है। नष्ट होती है ।
For Private And Personal Use Only