Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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कुछ, रक्तविकार. ]
पश्चमो भागः (चि. प. प्र.)
५६९
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मिश्र-प्रकरणम् ७७११ शरादिक्षीरम् पित्तज कास ८६९० हरीतकोयोगः कास, श्वास
८६९३ हिसाहरणयोगः हिका नाशक सरल
योग। ८६९५ हिंग्यादि यवागू हिक्का, श्वास
(१७) कुष्ठ-वातरक्त-रक्तविकाराधिकारः काय-प्रकरणम्
८४५३ हरिद्रायं चूर्णम् दाद, कुष्ठ ७२०५ शम्पाकादिक्वायः सर्वाङ्गगत वातरक्त ८४५४ हरिद्रायद्वर्तनम् पामा आदि ७२३९ शुष्ठ्यादिक्वाथः कुष्ठ
गुटिका-प्रकरणम् ७२५२ शुण्ठ्यादिमहाक० १८ प्रकारके कुष्ठ
। ७३४४ स्वित्रहरीवटी ८ दिनमें श्वित्रको नष्ट ८४१८ हरिद्रादिकषायः कफ पित्तज कुष्ठ
करती है। ८४२२ हरिद्रादि योगः कण्डू, पामा नाशक ७८९५ सहसमावटी कुष्ठ नाशक, रसायन ___सरल योग
. ७८९६ सर्वाङ्गसुन्दरी ८४२३ हरीतकीयोगः दूर तक फैला स्फुटित
गुटिका उपकुठको शीव नष्ट क. वातरक्त
रती है
चूर्ण-प्रकरणम्
गुग्गुलु-प्रकरणम् ७३३२ श्यामाधुद्वर्तनम् सिध्म
७९२० समशर्क'गुग्गु० वातरक्त, भगन्दर, क्षय, ७८२४ सप्तसमयोगः कुष्ठनाशक, मेव्य, वृष्य
विषमवर, अग्निमांद्य, ७८३३ सर्वकुष्ठाङ्कुश समस्त प्रकारके कुष्ठ
वातरोग ७८३४ सर्षपादि चूर्णम् स्फुटित कुष्ठ तथा तोद : ७९२१ सिंहनाद ,, कुष्ट, वातरक्त, नाड़ीबग
आदि भेदादि कुष्ठ की पीड़ा
.७९२६ स्वायम्भुवो ,, श्वित्र, वातरक्त, कोठ, ७८७७ सोमराजीयोगः श्वेत कुष्ठको शीघ्र नष्ट ।
श्लीपदादि करता है।
७९२७ , ,, श्वित्र, वातरक्त, कुष्टादि ७८७८ , रसायनम् १ वर्ष में तीव्र कुष्ठ को भी नष्ट कर देता है।
अवलेह-प्रकरणम्
७९२९ सप्तसमोऽवलेहः कुष्ठनाशक, मेध्य, वृष्य ७८७९ सोमराज्यायुद्ध
__ ७९३३ सितादि लेहः कः साध्य कुष्ठनाशक तनम् मर्दन करनेसे उग्र कुष्ठ
सरलयोग नष्ट होता है। .
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