Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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ज्वर ]
पञ्चमो भागः ( चि. प. प्र.)
५८३
८१६३ सर्वज्वरहरलौ० सर्वज्वर, ज्वरके उपद्रव, ! ८२३१ सिंहनादरसः सन्निपात, अरुचि, श्वास, यकृत, प्लीहा, पाण्डु,
कास आदि
८२३५ सुदर्शनरसः समस्त ज्वर ८१६४ सर्वज्वरहरलौ० प्रतिमास, प्रतिपक्ष, प्रति- ८२४६ सुरूपो रसः ।। कफवात ज्वर, नेत्रस्राव, वर्ष आनेवाला ज्वर, प्लीहा
अग्निमांद्य. ८१६५ सर्वज्वरहरलौ० पुराना ८ प्रकारका ज्वर, ८२५० सूचिकाभरण
कष्टसाध्य धातुगत ज्वर, रसः सन्निपात, सर्पदंश, (इंजेकास, प्लीहा, पाण्डु आदि
क्शन देने से मूर्छा नष्ट ८१६६ सर्वज्वराङ्कुशवटी एकदोषज, द्वन्द्वज,
होती है । सान्निपातिक, विषम, ८२५१ , ,
सन्निपात बहिर्गत, अन्तर्वेग, साम। ८२५२ सूचिकाभरण तथा निराम ज्वर
रसः भयंकर मूको तुरन्त ८१६७ सर्वज्वरारिरसः सर्वज्वर
नष्ट करता है। ८१६८ सर्वज्वरारिरसः जीर्णज्वर, आमज्वर, ८२ १३ , , सन्निपात
विषमज्वर, अजीर्ण ८२.५ सूर्यरसः ज्वरको शीध्र नष्ट करता है ८१६९ सर्वतोभदरसः आमदोष, अफारा, जीर्ण ८२८६ सूर्यशेखररसः सन्निपात
ज्वर, धातुगत विषम ८२९३ सोमपाणिरसः ज्वर, कास, पांइ. वमन, ८२९९ सौभाग्यवटी सन्निपात. शीतांग. प्र. संग्रहणा
स्वेद आदि ८१८१ सर्वाङ्गसुन्दररसः जीर्णज्वर, अरुचि, बल ८३०० सौभाग्यवटी शीताङ्ग सन्निपात
क्षय, हृदयपीडा, उदर ८३१७ स्वच्छन्दभैरव उग्र, सन्निपात, ग्रहणी रोग
८३१८ स्वच्छन्दभैरव शीतज्वर, सन्निपात, ८१९५ सर्वेश्वररसः समस्त विषमज्वर, सन्नि
विषमञ्च प्रतिश्याय,
जीर्णज्वर, वमन ८२०१ सर्वेश्वररसः सर्व ज्वर
८३२१ स्वच्छन्दभरव नवीन सन्निपात ८२०६ सामज्वरहररसः विरेचक, आमश्वरको शीघ्र ८३२२ ., , वातज तथा कफज ज्व
नष्ट करता है। | ८६१४ हरीतक्यादिपाकः शीतज्वर, रसविकार, ८२१० सारणसुन्दररसः विरेचक, ज्वरनाशक
वास, कास, धातुस्राव८२२२ सिद्धवटी सन्निपात
आदि
पात
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