Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 620
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६०८ अवलेह- -प्रकरणम् ८५२५ हरीतकीखण्ड: शूल, आनाह, वायु, अम्लपित्त घृत-प्रकरणम् ७३८५ शलि घृतम् आसवारिष्ट-प्रकरणम् ८०२० सूक्ष्मैलायरिटः शूल ८०७७ सक्तुधूपः तैल-प्रकरणम् ७४२० शूलगजेन्द्रतैलम् उपद्रवयुक्त ८ प्रकारके शूल वमन, ज्वर लेप-प्रकरणम् ८५७४ हिङ्ग्वादि लेपः शूल हृदयशूल, पार्श्वशूल, वातव्याधि, हिक्का धूप-प्रकरणम् शूल ७५३० शंखचूर्णम् 33 ७५३१ ७५३८ शंखनाव: www. kobatirth.org भारत-भैषज्य रत्नाकरः " कोष्ठकी रस-प्रकरणम् यच्छूल, परिणाम शूल, अन्नद्रव शूल, अन्न शूल त्रिदोषज शूल तीव्र शूल, तूणि, प्रतूणि, अजीर्ण ७५४५ शंखभास्कररसः समस्त शूल ७५४८ शंखवटी ७५४९ ७५५० 22 " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " "3 "" " ७५५७ शं वादिचूर्णम् ७५५८ "1 ७५६७ शतावरीमण्डूरम् त्रिदोषज शूल, अम्लपित्त, वमन, कास, श्वास ७५६८ शतावरी वातपित्तज परिणाम शू० ७५७० शम्बूकयोगः पक्ति शलको तुरन्त नष्ट करता है | 39 For Private And Personal Use Only ७५७८ शर्करा लौहम् ७६१८ शिलाबद्धरसः ७६५१ शुल्वसुन्दररसः [ शुल शूल, अजीर्ण, विषूचिका, अलसकादि शूल, अजीर्ण, अग्निमांद्य, ७५७२ शम्बूकादिवटी परिणाम शूलको शीघ्र नष्ट करती है । ७६५२ शूलकुठाररसः ७६५३ गजकेसरी गुटिका मूत्रकृच्छ्र शूल, वातव्याधि, क्षय, कास, श्वास, अजीर्ण ७५७३ शम्बूकाद्यगुटिका पित्तज शूल, शोथ, गुल्म ७५७६ शर्करामण्डूरम् ७५७७ शर्करालौहम् पक्ति शूल, अम्लपित्तादि समस्त शलों में उत्तम " पित्तज शूल, हृदयशूल, पार्श्व शूल, कुक्षि शूल, चस्ति शूल, गुदपीड़ा, आनाह आदि समस्त शूल पित्तज शूल वातज पित्तज पक्तिशूलको शीघ्र नष्ट करता है । समस्त शूल शूल, अग्निमांद्य, विबन्ध, गुल्म, ज्वर

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