Book Title: Veer Vikramaditya
Author(s): Mohanlal Chunilal Dhami, Dulahraj Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 395
________________ महाराज विक्रमादित्य पंचदंड छत्र और बत्तीस पुतलियों वाले सिंहासन पर कमलारानी के साथ विराजमान हो गए। सारा सभामंडप गूंज उठा। राजपुरोहित ने स्वस्तिवाचन किया। चारणों ने वीर विक्रम का यशोगान किया। महादंडक ने महासभा का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। फिर महामंत्री ने खड़े हो, सिंहासन की ओर आगे आकर कहा-'महानुभावो! आज आप यहां विशेष समाधान पाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हमें यह आशा नहीं थी कि इस आयोजन में जनता इतना रस लेगी। आज जनमेदिनी को देखकर यह सहज ही अनुमान हो जाता है कि जनता उस सर्वहर चोर को देखने के लिए उमड़ पड़ी है। मैं सर्वहर से कहना चाहता हूं कि वह जनता के सम्मुख प्रकट हो और जनता के मन को शान्त करे।' इतना कहकर महामंत्री नीचे अपने आसन पर बैठ गए। देवकुमार मौन बैठा था। उसका राजवेश अत्यन्त भव्य था। उसकी सुन्दर देह-लता विविध अलंकारों से देदीप्यमान हो रही थी। उसका सौम्य वदन और तेजस्वी आंखें अत्यन्त प्रभावशाली थीं। अभी उसके मुख पर बालक की-सी सहजता और सरलता थी। महामंत्री की प्रार्थना के पश्चात् लोग चारों ओर देखने लगे। सर्वहर अभी आएगा, अभी प्रकट होगा, किन्तु सर्वहर शांति से बैठा रहा। सभाजनों का धैर्य टूट रहा था। वे सर्वहर को देखना चाहते थे। उनके मन में बहुविध कल्पनाएं उभर रही थीं। वीर विक्रम सिंहासन से उठे और प्रचंड स्वर में बोले- 'मेरे प्रिय प्रजाजना! आप सब शांत रहें। मैं सर्वहर से कहना चाहता हूं कि वह निर्भयतापूर्वक मेरे समक्ष आए। वह किसी भी प्रकार का भय न रखे। क्षत्रिय अपने वचनों का मूल्य प्राणों से अधिक समझता है।' इतना कहकर विक्रम अपने सिंहासन पर बैठ गए। उसी क्षण देवकुमार अपने स्थान से उठा और राजसिंहासन के मंच की ओर आगे बढ़ने लगा। __यह देखते ही जनता रोमांचित होते हुए सोचने लगी-क्या यह सर्वहर होगा? नहीं, यह तो कोई राजकुमार प्रतीत होता है। सर्वहर तो तीस-तीस वर्ष का खिलाड़ी है और यह पन्द्रह-सत्रह वर्ष का किशोर है। यह कौन होगा? महामंत्री उस नौजवान को सूक्ष्म दृष्टि से देखने लगे। क्या यही महाबलाधिकृत का पुत्र है ? नहीं, उसके कान के पास एक काला तिल था। देवकुमार के हाथ में कौशेय वस्त्र में लिपटी हुई एक पेटिका थी। वह किसी की ओर दृष्टि-विक्षेप न करता हुआ सीधा सिंहासन वाले मंच की ओर आगे बढ़ ३८८ वीर विक्रमादित्य

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