Book Title: Vasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Author(s): Shreeranjan Suridevi
Publisher: Prakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 602
________________ ५८२ वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा घरमयहरया (१४०.२७) : गृहमहत्तरका: (सं.); घर के बड़े-बूढ़े । ( 'महयरया' का वर्णविपर्यय 'मयहरया' ।) घारिय (२८७.२६) : घारित (सं.), विष के प्रभाव से व्याकुल । मूलपाठ : 'विसधारियाओ' । [च] चमढिज्जिहि (९८.२७) : [ देशी ] कुचले जाओगे । 'चमढ' देशी क्रिया के अनेक अर्थ हैं : मसलना; कुचलना; पीडित करना; आक्रमण करना; चढ़ बैठना । कथाकार द्वारा प्रयुक्त 'चमढिज्जिहि' (भविष्यत्क्रिया) में पर्याप्त क्रिया- वक्रता है । चम्मद्दि (५०.१९) : इस देशी शब्द का प्रयोग कथाकार ने 'चकमा' के अर्थ में किया है। मूलपाठ है : 'धणसिरीते चम्मद्दि दाऊण निग्गतो ।' (धनश्री को चकमा देकर निकल गया ।) चाउरंतग (१३२.१८) : चातुरन्तक (सं.), लग्नमण्डप । इससे चौकोर मण्डप की ओर संकेत होता है। चिक्खल्ल (३२.२१) : कीचड़, कादो। यह देशी शब्द है । बुधस्वामी ने भी 'बृहत्कथाश्लोकसंग्रह' में कीचड़ के अर्थ में 'चिक्खल्ल' का प्रयोग किया है । ('कदलीफलचिक्खल्लप्रस्खलच्चरणः क्वचित् : १८.३४५ ।) चीरिकामुंडा (९६.३ ) : चीरिकामुण्डा (सं.), 'चीरिका' का अर्थ फतिंगा है। पूरी तरह से नहीं मूड़े हुए या जहाँ-तहाँ मूड़कर छोड़े हुए माथे को कथाकार ने 'चीरिकामुण्ड' (सं.) कहा है। 'चीरिकामुंडा' बहुवचनान्त प्रयोग है। यों भी, कैंची से कपचे हुए माथे को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि माथे पर फतिंगे आ बैठे हों । चोक्खीकरेह (६९.१९) : चोक्षीकुरुष्व (सं.), शुद्ध, नीरोग करो । यहाँ कथाकार ने चोक्ष (शुद्धिवादी) - सम्प्रदाय की ओर भी संकेत किया है। (विशेष विवरण प्रस्तुत शोध-ग्रन्थ के सांस्कृतिक जीवन- प्रकरण के धर्म-सम्प्रदाय - प्रसंग में द्रष्टव्य ।) [छ] छिक्का (१७८.३०) : स्पृष्टा (सं.), स्पर्श की गई । 'देशीनाममाला' (३.३६) के अनुसार छू के अर्थ में प्रयुक्त यह देशी क्रियाशब्द है । छिण्णकडग (२४८.२६) : छिन्नकटक (सं.); पहाड़ की खड़ी ढलाई; शृंगहीन पर्वतपीठ; अधित्यका । [ज] जति (१४१.३०) : यदि (सं.), अगर ('द' की जगह 'त) ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654