Book Title: Vasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Author(s): Shreeranjan Suridevi
Publisher: Prakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 638
________________ ६१८ वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा दिनकरभट्ट : २४३ देहात्मवादी : ४८६ दिनेश्वर प्रसाद (डॉ.) : १४०,१४० टि. दौगुन्दुकदेव : ९४ 'दि वसुदेवहिण्डी : एन् ऑथेण्टिक द्रोणाचार्य (धनुर्वेदाचार्य) : २२५ जैन वर्सन ऑव दि बृहत्कथा' : १३,३३, ६८, . द्वारवती (द्वारकानगरी) : ७४,८५,२५०,४७९,४८२ ६८ टि,३१८ टि. दिव्यावदान : ७८,२४८ टि,४५९ दिशाप्रोक्षित : ४९५ धनंजय (आचार्य) : १९,५२५ दिशाप्रोक्षी : ३५२,४९५ धनपाल : ६,२०,४२७ टि. 'दि स्टैण्डर्ड डिक्शनरी ऑव फोकलोर' : ८३ धनिक (टीकाकार) : १९,५०० 'दि हिस्ट्री ऑव इँगलिश नॉवेल' : १२० धनुर्विद्या : २२१,२२२,२२४,२४१ दीपकर्णी : १७ ‘धनुर्विद्या' (ग्रन्थ) : २२३ टि,२२७ टि. दीर्घवैताढ्य (पर्वत) : ४५९,४६४,४६५ धनुर्वेद : २२४,२२५,२२८ दुर्गाप्रसाद द्विवेद : २६७ टि. धन्वन्तरि (आदिदेव) : १९४,२०८ दुर्गासप्तशती : १६१ टि,१९३,२३९ धम्मिल्लचरित : ३२,३७,७०,७३,७४,८०,१२८, दृतिप्रयाग : ३२६ १५६, १५७, २१३, २६९, ३६६, ३७०, ३७१, ४३२, ४३४, ४३६, दृष्टिवाद (श्रुतांग) : १५३ ४३८,४४०, ४५२, ४५४, ४६७, दृष्टिविष (सर्प) : २७६ ४९१ देव : ४००,४०१,४०३,४०५,४०६ धम्मिल्लहिण्डी : ६९, ७०, ७३,७४,९७, ११३, देवकीनन्दन खत्री : ३० १४४, १८७, २०९, २१०, २१६, देवकुरु : ४५७,४५९ २१७, २२१, २२३, २२९, २५३, देवदूष्य : ३५५ २६१, २६३, २६९, २७४, २९६, देवनन्दिपूज्यपाद : ४८६ २९७, ३०२, ३०९, ३१०, ३३८, देवर्द्धिगणी : ५०३ ३४४, ३४९, ३५१, ३५२, ३५६, ३६०, ३६३, ३६६, ३६८, ३७३, देव-विमान (विमान : देवलोक) : ३९३,३९४,३९५, ३७५, ३७६, ३७९, ३८२, ३८७, ३९६,३९७,४०६ ३९४,४१०,४१६,४२४,४७२,४७६ देवीपुराण : २४३ धर्मदास : ६९ देवीभागवतपुराण : ४६३ धर्मदासगणी : ६९ देवेन्द्रगणी (आचार्य) : ३७,३८ धर्मसेनगणिमहत्तर: देवेन्द्रसूरि : ८४ (धर्मसेन) : १४,६७,६८,६९ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्र : ३४१ टि. धर्मसेनगणी : ६९ देशबन्धु विद्यालंकार : २२३,२२७ टि. धात्री : धातकीखण्डद्वीप : ४५७,४५९,४६०,४७० देशीनाममाला : ५७५,५७९,५८०, ५८१,५८४, धूमप्रभा (नरकभूमि) : ३९१ ५८५,५८७,५९०,५९३,५९७ धूर्ताख्यान (धुत्तक्खाण) : १५३ देशोपदेश : २४ 'ध्रुवपद और उसका विकास' : २८६ टि. ध्रुवागीति : २८६,२८७ देह-परिमाण-आत्मवाद : ४८६,४८८ ध्वन्यालोक : ५६० देह-परिमाण-आत्मवादी : ४८७ ध्वन्यालोकलोचन (चौखम्बा-संस्करण) : ५४६ टि.

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