Book Title: Vasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Author(s): Shreeranjan Suridevi
Publisher: Prakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 610
________________ वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा भिन्न (३२०१३) : भींगा हुआ। भींगने के अर्थ में देशी 'भिन्न' शब्द का प्रयोग अपनी विशिष्ट महत्त्व रखता है। भुक्खंडिय (१५५.१९) : भुरुकुंडिय ('देशीनाममाला' : ६.१०६); उद्धूलित; भस्मांचित । मूलपाठ : चुण्णभुक्खंडियबाहु-सीसे = भुजाओं और माथे में चूने की बुकनी लगाये हुए। भेडहत्थी (२८.२९) : 'भेड' देशी शब्द है, जिसका अर्थ है : भीरु; डरपोक; कायर। भेडहत्थी = डरपोक हाथी। भेलविय (६.१०) : भेल (महाराष्ट्री > मराठी); भेलित (सं.); मिश्रित; युक्त (भयभेलविय = भययुक्त)। (बम्बई में चाट की दुकान में प्राप्य चाट की मिश्रित सामग्री 'भेलपूरी' प्रसिद्ध है।) मंगुल (१२२.२७) : [देशी ] अनिष्ट । 'मंगुलं अनिष्टं पापं च' । 'देशीनाममाला' (६.१४५) मंडलग्ग (१२३.८) : मण्डलाय (सं.); तलवार की नोंक। मंडुक्की (१३८.१९) : झोली। यह देशी शब्द है। प्रसंगानुसार, इसका अर्थ झोली या थैली उद्भावित होता है। मूलपाठ : "विज्जाहराणं किल चम्मरयणमंडुक्कीसु ओसहीओ चत्तारि अत्ताणं रक्खिडं'। [विद्याधरों के चर्मरल-निर्मित थैली (झोली) में आत्मरक्षा के निमित्त चार ओषधियाँ रहती हैं।] मरालगोण (२२१.२२) : [देशी] आलसी या सुस्त बैल । विशेष द्र. 'देशीनाममाला' (६.११२ तथा २.१०४)। मल्लग (१४७.२) : [देशी ] मलिया प्याला। 'मल्लयमपूवभेए सरावकोसुंभचस एस।'- 'देशीनाममाला' (६.१४५) महुरसंदाइऊणं (६७.१६) : सन्दानित (सं.), नियन्त्रित। धीरे-धीरे नियन्त्रित भाव से दौड़ाकर (अश्वशिक्षा) । क्रियाविशेषण-सहित पूर्वकालिक क्रिया का यह प्रयोग विचित्र भी है, विशिष्ट भी। संस्कृत-रूप होगा : 'मधुरं सन्दानयित्वा।' मिंढ (२८५:१९) : मेढ़ (सं.), मेष; लिंग। मूण (२१५.२) : मौन (सं.) मौन; चुप । मौन का 'मूण' के रूप में प्रयोग पैशाची प्रवृत्ति का द्योतक है। रसग्गल (२५८.२७) : रसाई (सं.), रस से गीला; रसोल्बण; रसदार । राउल (३९.६) : राजकुल (सं.), यहाँ इस शब्द में 'ज' का पूर्ण लोप हो गया है और 'कु' का उद्वृत्त स्वर 'उ' रह गया है। राउल < राजकुल।

Loading...

Page Navigation
1 ... 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654