Book Title: Vasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Author(s): Shreeranjan Suridevi
Publisher: Prakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 628
________________ ६०८ वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा तत्त्वार्थसूत्र : उमास्वाति : सं. पं. कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, भारतीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, ___मथुरा। तिलोयपण्णत्ति : यतिवृषभाचार्य, जीवराज ग्रन्थमाला, शोलापुर । दशवकालिकनियुक्ति : श्रीश्वेताम्बर स्थानकवासी जैनकानफरेन्स, भाँगवाड़ी, मुम्बई, सन् १९३९ ई. । दशवैकालिकसूत्र: जैनश्वेताम्बर तेरापन्थी महासभा, कलकत्ता, वाचना-प्रमुख: आचार्य तुलसी, २०२० विक्रमाब्द। पंचास्तिकाय: परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई। पउमचरिय: आचार्य विमलसूरि : प्र. प्राकृत-ग्रन्थ-परिषद्, वाराणसी। प्रज्ञापनासूत्र : श्रीआगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान), सन् १९८० ई.। प्रबन्धचिन्तामणि : मेस्तुंग : भारतीय विद्याभवन, बम्बई। भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान : डॉ. हीरालाल जैन: प्र. मध्यप्रदेश शासन साहित्य-परिषद्, भोपाल, प्र. सं. सन् १९६२ ई.। प्राकृत-भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास : डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री प्र तारा पब्लिकेशन्स, कमच्छा, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् १९६६ ई. । प्राकृत-साहित्य का इतिहास : डॉ. जगदीशचन्द्र जैन : प्र. चौखम्बा विद्या-भवन, वाराणसी, सन् १९६१ ई.। प्रबन्धकोश : राजशेखर सूरि : भारतीय विद्याभवन, बम्बई। बृहत्कथाकोष : हरिषेण : भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी । बृहत्कल्पभाष्यः प्राकृत-भारती, जयपुर, सन् १९६६ ई. । महापुराण : राजशेखर सूरिः भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी।. राजप्रश्नीयसूत्र : श्रीआगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान), सन् १९८० ई. । राजवार्तिक: भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी। वसुदेवहिण्डी (गुजराती-अनुवाद) : अनु. प्रो. भोगीलाल जयचन्द भाई साण्डेसरा प्र. श्रीआत्मानन्द सभा, भावनगर। वसुदेवहिण्डी : एन् ऑथेण्टिक जैन वर्सन ऑव द बृहत्कथा : डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, प्र. लाल भाई - दलपतभाई भारतीय संस्कृति-विद्यामन्दिर, अहमदाबाद, सन् १९७७ ई. । समवायांगसूत्र : जैनविश्वभारती, लाडनूँ (राजस्थान)। सर्वार्थसिद्धिटीका: देवनन्दी, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी। सूत्रकृतांग: श्रीआगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान), सन् १९८० ई. । स्थानांग (ठाणं) : वाचनाप्रमुख : आचार्य तुलसी, प्र. श्रीजैनविश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान)। हरिभद्र के प्राकृत-कथासाहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन : डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्र. प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा-शोधसंस्थान, वैशाली, सन् १९६५ ई. । हिस्ट्री ऑव तमिल लिटरेचर : एस. वी. पिल्लई, मद्रास, सन् १९५६ ई. । पत्रिकाएँ 'कल्याण' (मासिक) : हिन्दू-संस्कृति-अंक, गीता प्रेस, गोरखपुर ।

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