Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन !
वर्तमान में पूज्य गुरुदेव मद्रास प्रवास पर हैं। तमिलनाडु प्रकाश-पुरुष गुरुदेव
के कई नगरों और गांवों को आपने अपनी चरण रज से
पवित्र किया है, अपने व्याख्यानों से उपकृत किया है। मैं गुरुदेव परम श्रद्धेय इतिहास केसरी श्री सुमन मुनिजी
अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानक वासी-तमिलनाडु शाखा महाराज का जीवन एक प्रज्वलित दीप के समान है। आपने अपने प्रकाशपूर्ण जीवन से जैन जगत् को आलोकित
का मन्त्री होने के नाते सकल तमिलनाडु जैन संघ की ओर किया है। आपने अपने तेजस्वी आचार और ओजस्वी
से आपकी दीक्षा स्वर्ण जयन्ती पर आपका हार्दिक अभिनन्दन
करता हूँ और करबद्ध प्रार्थना करता हूँ कि आप हमें विचारों से समाज को नई दिशा प्रदान की है।
अपने सान्निध्य का अधिक से अधिक सुअवसर प्रदान करें। हमारे क्षेत्र साहूकारपेठ पर आपकी असीम कृपा रही
इन्द्रचन्द मेहता है। आपके वर्ष १६६८ के वर्षावास का हमें सौभाग्य
मंत्री : अ.भा. श्वे. स्था. तमिलनाडु शाखा प्राप्त हुआ। आपका यह वर्षावास ऐतिहासिक सिद्ध हुआ। हम आशा करते हैं कि हमारे क्षेत्र पर आपकी कृपा दृष्टि निरन्तर बनी रहेगी।
अभिनन्दन एवं मंगल कामना आपके संयमीय जीवन के पचासवें वर्ष पर हम ससंघ आपका अभिनन्दन करते हैं एवं मंगल कामनाएं श्रमणसंघीय सलाहकार पूज्य गुरुदेव श्री सुमन मुनि करते हैं कि आप चिरायु हो। सुदीर्घ काल तक जैन जी महाराज के दर्शनों का सुअवसर मुझे कई बार मिला जगत् आपके जीवन के प्रकाश से प्रकाशित बना रहे। |
| है। मैंने यह अनुभव किया है कि पूज्य श्री के विचार, इन्हीं सदाकांक्षाओं के साथ वन्दन !
व्यवहार और वाणी की त्रिपथगा में एक सरस प्रवाह है। अध्यक्ष : भंवरलाल गोठी, रिखबचन्द लोढ़ा
आपके सम्पर्क में जो भी आता है वह प्रेरणा का आलोक मंत्री : एस.एस. जैन संघ साहूकारपेठ, चेन्नई।
लेकर लौटता है। आपके पास व्यापक अनुभव क्षमता
है। व्यक्ति से लेकर समाज तक आपकी नेतृत्व क्षमता स्वपर कल्याणरत गुरुदेव
का कई बार रचनात्मक स्वरूप सामने आता है। सामाजिक
क्षेत्र की कोई भी जटिल गुत्थी क्यों न हो आपने अपनी उसी पुरुष का जीवन श्रेष्ठ होता है जो अपने पौरुष
सुलझी मानसिकता से उसे समाधान के द्वार तक पहुंचाया को स्वात्म-कल्याण के साथ-साथ समाज, देश और विश्व के कल्याण में नियोजित करता है। परम श्रद्धेय श्रमण श्रेष्ठ श्री सुमनकुमार जी महाराज एक ऐसे ही श्रेष्ठ पुरुष
तार्किक एवं तात्विक मानसिकता के धनी श्री हैं। वे न केवल आत्मार्थी साधक हैं अपितु अपने उच्चादर्शों
सुमनमुनिजी महाराज का साहित्य-सृजन के क्षेत्र में जो और मौलिक विचारों से समाज, देश और विश्व के लिए
अवदान है वह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तत्त्व दर्शन एवं कल्याण का महापथ प्रशस्त कर रहे हैं। उनके सारगर्भित
प्रवचनोपयोगी कृतियां तो उन्होंने अपनी रत्नप्रसू लेखनी उद्बोधनों से हजारों-हजार व्यक्तियों को सत्य मार्ग उपलब्ध
से साहित्यिक जगत् को प्रदान की ही हैं, किन्तु पंजाब हुआ है।
श्रमणपरम्परा का इतिहास लिखकर अत्यन्त विशिष्ट कार्य
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