Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
आ. भगवन्त के आध्यात्मिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा पं. श्री शुक्लचन्दजी म. की सरलता एवं कर्तव्यनिष्ठा पर प्रकाश डाला। __इसके पश्चात् महासती श्री ज्ञानप्रभा जी म.. महासती श्री कौशल्याजी म., महासती श्री मंज जी म. ने दोनों महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी दिनचर्या, संयमी जीवन एवं कर्तव्यपरायणता पर विशेष जानकारी दी।
उप प्रवर्तक श्री विनयकुमार जी म. (भीम) ने एक सच्चे सन्त के रूप में स्व आचार्य भगवन्त एवम् प्रवर्तक श्री जी के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। सलाहकार उप प्रवर्तक श्री सुकनमल जी म. ने बताया कि भारत भूमि साधु – सन्तों की भूमि रही है। समय-समय पर अनेक महान् आत्माएं आती है; जो संसार में भटके लोगों को भगवान की वाणी के द्वारा सत्पथ दिखाते हैं। उन्होंने आचार्य श्री के स्वाध्यायी-जीवन पर विशेष जानकारी देते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।'
प्रवर्तक श्री रूपचन्दजी म. (रजत) ने पूना में कई दिनों से चल रहे गणपति दर्शन के बारे में बताते हुए कहा कि - गणपति शिवजी के पुत्र थे और आचार्य श्री आत्माराम जी म. शालिग्रामजी म. के शिष्य थे। शालिग्राम भी शिव का ही एक नाम है। इसलिए उन्होंने बताया कि जैसे विवाह, पुत्र जन्म, गृह प्रवेश आदि मंगल कार्यों में पहले गणपति को मनाते हैं। इसी प्रकार श्रमणसंघ के प्रथम पट्टधर आचार्य के रूप में हम भी आचार्य श्री आत्मारामजी म. को मानते हैं और अब तो उन्हीं के पौत्र शिष्य डॉ. श्री शिवमुनिजी म. भी युवाचार्य पद से अलंकृत हैं। वे महान् थे, गुणवान थे, गुणों की खान थे। उनके प्रतिभाशाली जीवन पर मारवाड़ी भाषा में अपने विचार दिये। जनता सुनते-२ भाव विभोर हो गई। उन्होंने बताया कि शुक्ल
ध्यान से आत्मा में आना ही आत्माराम है। आत्मा ही राम हैं। प्रवर्तक श्री जी का सभी सम्मेलनों में कितना योगदान रहा, मरुधर केसरीजी म. से उनका कितना घनिष्ठ सम्बन्ध था इसका विस्तार सहित पूर्ण विवेचन देकर अपने हृदय की सच्ची श्रद्धा भेंट की।
पू. गुरूदेव श्री सुमनमुनि जी म. के विद्वता भरे विचार तो जन मानस के हृदय - पटल पर अंकित हो गये। उनकी सरल भाषा तथा मधुर वाणी से तो लोग पहले ही प्रभावित थे इस अवसर पर म. श्री जी ने दोनों महापुरुषों के जीवन की छोटी-बड़ी अनेकों घटनाओं से लोगों को अवगत कराया। महाराष्ट्र के लोगों को भी पता चला कि पंजाब में भी ऐसे-२ महापुरुष हुए हैं। पंजाब भी महापुरुषों से खाली नहीं है। तप. साध्वी श्री कृष्णा जी, साध्वी श्री भारती जी ने अपनी मधुर श्रद्धा गीत द्वारा, स्मरणांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर धूलिया, नासिक, सूरत, मद्रास तथा और भी आस-पास से सैकड़ों महानुभाव पधारे। सभी का । श्री संघ ने माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया।
इस महोत्सव की अध्यक्षता श्री परसरामजी चौरड़िया ने की तथा नेत्र शिविर का उद्घाटन श्री नगराजजी मेहता (सादड़ी वालों) ने किया। उनका भी श्री वीतराग सेवा संघ ने जैन प्रतीक एवम् स्था. जैन संघ आदिनाथ के अध्यक्ष श्री अमरचन्दजी गांधी ने चन्दन माल्यार्पण द्वारा सत्कार किया।
ब्राह्मी बालिका मंडल की बालिकाओं ने भी मंगलाचरण एवं श्रद्धा-गीतों के द्वारा अपनी भावाञ्जलि अर्पित की।
पूना से विहार करके परम श्रद्धेय सलाहकार मंत्री श्री सुमनकुमार जी म. शिष्य सम्पदा सहित सुपार्श्वनाथ सोसायटी में पधारे। वहीं पर बंबई से विहार यात्रा करते
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