Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 20
________________ क्या कोई क्रोधी व्यक्ति सदाबहार किसी को प्रेम कर सकेगा? क्या चिंताग्रस्त व्यक्ति अपनी ओर से घर के वातावरण को प्रसन्नता प्रदान कर सकेगा? क्या कोई ईर्ष्याग्रस्त प्राणी अपनी ओर से दूसरों को प्रेम और प्यार का सुकून दे पाएगा? ___मोहब्बत की दहलीज़ पर क़दम रखने के लिए ज़रूरी है कि व्यक्ति स्वयं को शांतिमय बनाए। जो शांतिमय होता है वह तो किसी गुलाब के फूल की तरह खिला हुआ रहता है। जैसे कोई व्यक्ति गुलाब के फूल पर हवा का तेज झौंका मार जाए या फिर गुलाब के फूल को आहट भी क्यों न पहुँचा जाए, लेकिन फिर भी गुलाब के फूल की खासियत होती है कि गुलाब अगर कली बनकर रहेगा तब भी महकेगा, फूल बनकर जीएगा तब भी महकेगा, कोई उसे पानी पिलाए तब भी महकेगा, कोई उसे तोड़ ले तब भी महकेगा, कोई उसकी पंखडी-पंखडी अलग कर दे तब भी महकेगा और अगर कोई सुखाकर गुलाब के फूल को किसी किरयाने के व्यापारी को बेच आएगा तब भी वह उसकी दुकान पर रहकर भी महकेगा। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में शांति के गुलाब खिलाए हैं वही अपने जीवन में प्रसन्नता और आनन्द की महक पा सकेगा। अगर कोई व्यक्ति अपने आप में क्रोधी है तो वो यह न समझे कि वह क्रोधी है। क्रोधी क्रोध करके रात-दिन अपने परिवार को अभिशाप ही दिया करता है। एक क्रोधी या तनावग्रस्त व्यक्ति भला अपनी ओर से समाज को क्या दे पाएगा? किसी भी व्यक्ति के द्वारा मानवता की सेवा के लिए धन का दान देना पुण्य की बात है लेकिन मानवता को अपनी ओर से शांति प्रदान करना लाखों-लाख रुपयों के दान से भी ज्यादा श्रेष्ठ है। ज़रा कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति ने अपनी ओर से अपने दादाजी की याद में पानी की प्याऊ बनवाई या उसने लोगों के लिए पानी का प्रबन्ध किया, ठण्डे शीतल पेय की व्यवस्था भी की, पर मैं पूछना चाहूँगा कि एक ओर पानी की प्याऊ बनाना और दूसरी ओर अपने ही क्रोध पर काबू न रख पाना, क्या परस्पर विरोधाभासी नहीं है? मन में चलाइए शांति का चैनल १९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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