Book Title: Samkitsar Granth
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Publisher: Unknown
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पिंगत्यंतापसोगसोपसोगरपसागरसाण्समुहनेवसेपविधा। पण्पेण जावपडिवुहानमयत्नम्पानगीनेवियारे, चिंतासमुन्ना।। थिणपियारतायडांथितापनारेएस्यूमरस्य अहकम्मरां। मजनु कोरोमवशरें नदए । दिवायरे। रणग्योर्ड हिनिउर सहसपुरसप्रेरस्मीथो पोसहंपोण्पोषमा पारेइपारित्ता पाप पालेपालीने तेकाले। तेण्नेगारे ते सपएणं । नेप तेरोसमें संभूयं संप मंलूत विजयस्स विणविग्यस्वामीना सीसे । सी सीष्यः जुगुप्प हाणेनगनुगप्रधान प्रथ्वीना घशी. भद्दबाहुनाम ललप्रमाहुनामें अपगारे सण नएएम्पार रत्न धाश जाव बहुस्सुए॥ न मयत्जप बहुश्रुत ना घशए कारभद्दबाहुनाम ललप्रमानामे गोहपूर्वना पारी अणगारे नए गएरार. पंचहिंपण्यायः अपागारमय सागर सरहिंसद्धि । सम्पायसो सापु संघाने. संपरिबुडे संपतेने साथै परीवस्या पुच्चागुपुच्चिं पुण्पुर्यानुपुबै जनुक्रमे च. रमारो.पण्यापताय वीपरस्पायड गामाणु गाण्यामानुगामप्रत्ते दुधमारो दुण्वीयतां लन्य कचनेप्रतिमोघता या सुहंसुहेरा सुण्मुजेसुजे. विहरमाणे पिण् विधरतां यहां जेणेव रेहां.. पाडसीपुरे पापाऽस्टीपुरनगरणे निहांजेवलेपषिका पाडस पापा 'उपन्यमें वासंडे यप वनजंउछे लिहाते व ते तीमा उवागई। ता। णिनिहां पधारे पकारीने पाडलीपुरे पापा ऽसीपुरनणरने बहि या जपमाहीरवी पाडसपापाडखनामे पसंडे। वयनमंडने चिने अह्मपडिरूवं मण् यथान्य सापनेन्पेनेंबी उग्गहंण्मि वग्रह आज्ञा गिन्हगिन्हित्ता गिरमागेमागाने उत्तरे संजमेरो संग -लेसंगमेरी तवस्सा तपरले तपे रोने अप्पाएन जात्मा नेभावमाणेला भावतां वासतांथांविहरहा पिपियरे नएसे रगतिवानं पाउलीपुरेपाणपाइस्तीपुरपायरेणग्नगरनेयिषे. सिंघाडगसिमिघोसनेमामारेनिगमित्रनवाठपातिांचउकयण्यारवाट कचरापण्यारनेरिषे पहेसुपण्पंधरय मापहेसु ॥ मग मोटा

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