Book Title: Samkitsar Granth
Author(s):
Publisher: Unknown
View full book text
________________
( ८१. यनेवीसस्थानकेळवतीर्थसरपाटपिपराने,तेमध्येतोनारी उरतातीर्थरगोत्र नधिमनत्यु.
५. पाणीसुरियालवतायेलगपतने पुछ्यु. . अहां भंते सुरीयामेदेवे किं भयसिधिए कि अभवसिधिए समीठीए । मि दीठीए परीनसंसारीए अतसंसारीए सुखभवोहीए दुसभषोहीए पारा हए चिराहए चरीमे अचरीमे न जालंहेलगवंत-सुसुरियालध्व. किसुमलव्यकि.म.मलयससमदृष्टी.भी.मीथ्याष्टीप.तुम्छर योगे) संसारीमजनंतसंसारी-सु-सुर्सलोधी रिनधर्मनीशसिसोहली.पुरे दुर्बलोषीमालिनधर्मन्येभारापीमतीवीराधीय हेवनोलोनवनेन तेयरीमेमपएालवतमयशेमे.
तीवारेमगवतेजोलनलाम्त्या मेसेजेसुरियालविभ्यनेजारनतना मंचसुरीयालपोउपनतान्नरामे.वनीत्मगपतीसतरबारमेटेसेसातमेछापी भावागजुष्टातस्यु सोजमरीनोवातेमध्ये अयासहस्सं परिचयेजागने उन्नरजहरीलरीछमासषगेवारामांराजीतनसरीनेतियार पासवराजेननल, संघाएगा,वीतापीत्तशुक्र,ओएल.सींग,मुजाय,पग,पुंछवानाजुशयेऊरीसर्व पानीलुभीरसागीतागोयमा पराओरजाउरीप्रदेशमात्रलोमराज एनसीपारसीपए, एयंसिए महापयसि लोगसि लोगस्सय सासपं भावं संसारस अपादियं भावं जीवस्स नीचभावं कम्मबहुत्तं जम्मा मरां बहसं पहुच नथीकेइ परमाणु पोग्गले मेते विपएसे जथांअयं जीवेरा जाएगा मएवा ए जीवे अर्थ मेन्जेनेविषेजेकामाखायलोग्नेवीपेपरमा गुपोगनामेनेवीपसे यारियोस्तिमलीलामसिंघमहात्वपणा पहीलोऽनेडीभरह्मोसीमासंगायनयाने छेलो.लोनासारचताना वप्रत्येमानेवनीसंसारनामना पलायप्रत्येमाश्रीनेलवनामित्परमार प्रत्येजाश्रीनर्भनाजसपणापभनेजसपोगन्माधिमेजष्पपरो उस्तार्थनहुन्जेनेरलाभाट लत्मवप्नीन्नमानरपानाहुल्यस्मानीले. ननहीं से परमाणुगनभानपएरामटेशनोशनेविषेशलवार नहींमुवोपरानथी
.
.

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176