Book Title: Samkitsar Granth
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 20
________________ १२ ) तनहीलेचनुदृसमेगण्यदृसमे. सुमिरो सुसुपने बहुग्धरयणंजण्नतिमोर त्नछेपणातेहीणदिहं । तण्तेलेहीनतेने‍हीत मोलरहित टीठा तस्सफलं तपसु पननोइसनेहुवीछे· मरहेलण्पायलरथमो एरवा ॥ जेायजेरवतमा समा एा । सन्समा होसेते कलहकरा इण्डसह नां कुराहारममरकरा डण्डमरजोरा तेनाकुरनारान्प्रसमाहिकरा जण्ञसमाधिनां दाहारमाहोमाहेश्मनिययक रा। जाजनिवृत्तिनाम्राहारउपशमरहित. डोक्सने हामविस्सई | १४ | बीमा होमाहंसने योग्येने पाते पाहतयोडोरस नसंघाते सनेहुनण्थास्येपयमा पपन्नरसमे पण्पन्नसमे सुमिए । सुसुपने रायकुमारो रापालनाकुमरने वस हारूढोदीठो । वण्षमतेजसह परे ज्या तस्सफसं । तप्तेसुपननोक्सनेहुरो वत्तीय कुमारा । क्षत्रीतेरन्पूतनांडुकुमाश्ने रायमामविस्सई रा नष्टथास्येपछेपोटीयाजेडीपेटलाई स्पे. जुनास इंगिएहस्सई । १५ पुण्यम मार्गतेमिथ्यातनीमार्गग्रहस्येंरान्नसर्वमिध्यानीहोमें धर्मनिहोस सोससमे सोन्सोसमे. सुमि। सुसुपने. गयकएहा गन्ने हस्ती पणाला जूयता । नूनूगसतेछे फफकरता दीठा कुरता बढनाहीडां तस्म फल ।। तप्तेसुपननोइसग्नेर्छ. अप्पमेहा जण्लरतक्षेत्रमाजस्यमे अल्पका संचासिणोमेहा। जयायालय रससेमाग्यानही था असेनहीथार्पन्न रेनेस्पे तारेनहीथार्थ पुत्ताय पुण्पुत्रतथा सीसायसीन्सीष्य प्रकास । मासिलोजा डासनांजोसनारजोरानांजोसनारगुइनांछिद्रगवेषी देवगुरू ।। हेण्हेवतया गुर्अम्माषियरो।।जण्मातानथापीलारेपपास्यापोसानेनां सूसूस गान भविस्स ई ॥ ९६ ॥ सूपसुश्रूषानहीं+रेत्लक्लिनपुरे अवनीतपणामारे १५ दुसमय दुदुजमच्या रानुजायपायमोजारो महादृहदायगो मामहादुनाथले मासुजनोछारोनथी मणीने सोय सोलोडोत्तर पक्षनां पुरुषछेते जे सिद्धपरकमाते । सिंहनी परे सुरवीर थमाक्रमोरचस्येते भवसमुदतरीकृष्णं ॥ ललसमुद्रतरी नेर्सग्मतपविनययेय्यबथम्रसे ते तरसे के इ देवलोगंगमिसाईडेण्डीर्यत्तिम पुरषलसीरीतें हे वगुः धर्मर्समा पार ही ताराधी है वसोम्नस्ये तसोचा सोननोज चंद्रगुत्तेरायायंद्रगुप्तनामे राज्यमनमांदिया रीने कामभोगा अपलोडाम लोगथी मनवास्यो, ति इतए । तिपत्तीचाली

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