Book Title: Samkitsar Granth
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 10
________________ C जाण्पैंनजाब्यानां पउग पण्यलेग संपत्ता संपतेोस्रीसहीत छे विधिमीय विनाषीतांघोसां विपुल विविपुलत्रचुरघमत्त पाएाप्पनूया मा नपाणी मलून हेचाएछेने हनेपरे धनारगुएाछे व्यभिगयजीवाजीचे एयार्छनेहुनेलवजलवनालेह सर्वनिसंम्पले ज्वलद्ध उपसाधा लेहनें. पुणपावें पुण्पुनपापनांकूल ग्रासव्व जाण्यासवरसंवर संण्संवर निसर निरनिरा. किश्या डिडिया हिगरणंअपप्रधीरबंध जंण्लंघ मोरक् मोण्मोष्प कसला ॥ सहेझउएनसापहार्यने विषेश सछौं। अण्देवनानीसाहननवाछे. देवसुरनागस्रुवण रेण्देवजसुरना गस्रुवणकुंभारनीन्प्रतिनाद्देवता. जरक उपनक्षररकस्स रणराक्षसना न्नतीना. किन्नर डिपुन्तरन्नविना किंपुरिस्सरिपनीती गंधव गंधर्वनीन्नति महोरग भण्महोरगनीन्नति देवगणेहिं हेण्एतसाहेब तानांसमोहमीष्याथ संपण निग्गंथान निपनिग्रंथप्रपयनसिद्धांतथ. पावयसानु || पाण्प्रवयनधर्मथडी. आणाइकम्पाल झापरी सह हेवेकरीपापैर्मथकीयसावीनसडे निग्गंथे। निर्णनियधनाधर्मवडी-पाबघणे पाण्प्रवयन सिद्धानमा निसकिए । निपसंकारहितछे निस्किए । निजासंवाछारहितछें निवितिगिछा ॥ निण वितिगिछा इसानांसह रहिनछे. सडा / सपसापाछें सिद्धांत नांग्जर्य गहिया । ग्राथा छे. सिद्धांतनांउर्थ पुबिया ॥ पुण्पुछीनेनिया यधिः यति गयठा। जण्सन्मुजस्ग्रह्मा सर्व विशिविया ॥ विविशेषे पुछी २ नेपार्यां क्रेनि संस्पार्ध. हिमझा। जण्डवानांप्रद्देशतेनीमिल . पेमायुरागरत्ता । पेप्रेमते धर्मनांप्रेमनेविषे रंगसागी रह्योछे यग्जण्जे माहेश्ारमा मानुसो मा देखायुष्मान्: निग्गंथे। नियनियंयनोधर्म पावयणे पाण्प्रचयनसिद्धांतछेते. अठे ॥ जण्जे हलधर्मनो सर्पछ सेसेपण्डे । सेण्मोन्स नोजर्य सेषछेते सर्व जनर्थछे संसार नसीह फसीह मेसी छे कुमाउनी लुगस लेने यदुवारा ज जवगुप्तछेडाछे हर पाल ले नां हातार गुरामा चीयं तेथी०मतीतपोछें अंनेजर / जंगसंतेरि मुनने विषैः परधर पबेसा । प्रदेशक

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