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"मैवाइ-परिचय करड़ा का जैनमन्दिर-- ___ उदयपुर-चित्तौड़गढ़-रेल्वे के करेंड्रा स्टेशन के पास ही श्वेत पापाण का बना हुआ पार्श्वनाथ का विशाल मन्दिर है । मन्दिर के मण्डप की दोनों तरफ छोटे २ मण्डप वाले 'दों और मन्दिर बने हुए हैं। उनमें से एक मंडप में अरबी का एक लेख हैं, जो पीछे से मरम्मत कराने के समय वहाँ लगा दिया गया हों, ऐसा. अनुमान होता है। मंडप में जंजीर से लटकती हुई घंटियों की आकृतियाँ बनी हैं, जिस पर से लोगों ने यह प्रसिद्धि की है कि इस मन्दिर के बनाने में एक बनजारे ने सहायता दी थी, जिस में उसके बैलों के गले में वान्धी जाने वाली जंजीरं सहित.घंटियों की आतियाँ यहाँ अंकित की गई हैं, परन्तु यह भी कल्पना मात्र है, क्योंकि जैन, शैव, वैष्णवों के अनेक प्राचीन मन्दिरों के थंभों पर ऐसी आकृतियाँ बनी हुई मिलती हैं । जो एक प्रकार की सुन्दरता का चिन्ह मात्र था । मंडपके ऊपरीभाग में एक ओर मसजिद की आकृति बनी हुई है जिसके विपय में लोग यह प्रसिद्ध करते हैं कि जव वादशाह अकवर यहाँ आया था, तब उसने इस मन्दिर में यह मसजिद की आकृति इस अभिप्रायसें बनवादी थी कि भविष्य में मुसलमान इसे न तोड़ें, परन्तु वास्तव में मन्दिर के निर्माण कराने वालों ने मुसलमानों का यह पवित्र चिन्ह इसी विचार से वनवाया है कि इसको देखकर वे मन्दिर को न तोड़ें, जैसा कि मुसलमानों के समय के बने हुए अन्य मन्दिरादि के सम्बन्ध में ऊपर उल्लेख किया गया है । मन्दिर में श्यामवर्ण पाषाण की बनी