Book Title: Purusharth Siddhyupay Author(s): Nathuram Premi Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय निवेदन श्रीमदमृताचार्यविरचित पुरुषार्थसिद्धय पाय श्रीमद् राजचंद्र जैन शास्त्रमालाका सातवां थ-पुष्प है। इस मंथ के अन्तर्गत मूल संस्कृत श्लोक, पं० टोडरमलजी कृत, तथा पं० दौलतरामनी कृत टीका के आधार पर पं. नाथूरामजी प्रेमी द्वारा लिखित नवीन हिन्दी टीका है। श्रावक मुनि धर्म का हृदयस्पर्शी अद्भुत वर्णन है। - इस संस्था की भोर से परमात्म प्रकाश और योगसार, गोम्मटसार जीव-कांड-कर्म कांड, लब्धिसार पौर स्याद्वादमंजरी आदि का पुनर्मुद्रण हो रहा है। निरंतर मांग एवम् आवश्यकता समझ कर यह षष्ठ संस्करण जिज्ञासुमों के कर-कमममें प्रस्तुत करते हुए हृदय प्रानंद विभोर हो उठता है। बौद्धिक क्षयोपशम की न्यूनता के कारण अशुद्धियां-त्रुटियां रह जाना संभव है। विज्ञ पाठक शुद्ध करके पढ़ें और क्षमा करें। प्रार्थना है कि पाठक गण यथावश्यक सूचनायें भेजने की कृपा करेंगे। निवेदक: रावजी भाई छ. देसाई श्रीमद् राजचंद्र पाश्रम प्रगास, दि० १०/५/७७Page Navigation
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