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अनिल
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अनिवत्ती
अनिल पु., [अनिल], वायु, हवा, पवन - मालुतो पवनो वायु वातोनिलसमीरणो, अभि. प. 37; गिरिमिव अनिलेन दुप्पसरहो, जा. अट्ठ. 2.184; - जलवेगसञ्छादित त्रि., तत्पु. स., वातावरण अथवा हवा की नमी से पूरी तरह ढका हुआ - यथा वा पन, महाराज, गगनं अनिलजलवेगसञ्छादितं, मि. प. 123; - जव त्रि., ब. स., हवा की गति अथवा वेग वाला - यथा, महाराज, रओ अस्साजानीयो भवेय्य सीघगति अनिलजवो, मि. प. 143; - लञ्जस पु., तत्पु. स., हवा का मार्ग, वायुमण्डल - अम्बरे अनिलजसे, अप. 1.273; अगञ्छि अनिलजसा, अप. 2.4; - जसासंखुब्म त्रि., तत्पु. स., वायु के वेग से क्षुब्ध या प्रभावित न होने वाला - अनिलजसासङ्घडभो, यथाकासो असडियो, अप. 1.113; - पथ पु., तत्पु. स., आकाश, वायुपथ, वायुमण्डल, अन्तरिक्ष - वेहासो चानिलपथो आकासो नित्थियं नभं, अभि. प. 463B ... सकुणी अनिलपथं लङ्घयित्वा ..., जा. अट्ठ. 3.338; -- बल नपुं, हवा की शक्ति - रुक्खोपि ... अनिलबलवेगाभिहतो भिज्जति, मि. प. 159; - बलसमाहत त्रि., तत्पु. स., हवा की शक्ति द्वारा चोटिल - यथा वा पन, महाराज, सण्हसुखुमअणुरजो अनिलबलसमाहतो.... मि. प. 176; - लायन नपुं., तत्पु. स., वायु का मार्ग - चङ्कम सुसमारुळ्हो, अम्बरे अनिलायने, अप. 1.158; - लूपम-समुप्पात त्रि., ब. स., हवा के समान तेज, वायु जैसे वेग से युक्त -
अनिलूपमसमुप्पाता, सुदन्ता सोण्णमालिनो, जा. अठ्ठ. 7.105; अनिलूपमसमुप्पाताति वातसदिसवेगा, जा. अट्ठ. 7.106; - लेरित त्रि., तत्पु. स. [अनिलेरित], हवा द्वारा कंपाया जा रहा, वायु द्वारा प्रकम्पित - अनिलेरिता
लोहितपत्तमालिनी, जा. अट्ट, 5.399. अनिवत्तगमन नपुं.. कर्म. स. [अनिवर्त्यगमन], ऐसा गृहत्याग, जिसमें पुनः लौटकर वापस न आना हो, सदा के लिए गृहत्याग, अन्तिम रूप से गृहत्याग - इदं पन मम
अनिवत्तगमनं, ध. प. अट्ट, 1.39. अनिवत्तन नपुं., निवत्तन का निषे., तत्पु. स. [अनिवर्तन],
तदा पन वाराणसिरो ... अनिवत्तनधम्मा ... महायोधा होन्ति, जा. अट्ठ. 1.255; - भाव पु., वापस न मुड़ने अथवा पीठ न दिखाने की दशा - भयभीरुताय अभावेनेव भेरवारम्मणं दिस्वापि अनिवत्तनभावेनाति .... जा. अट्ठ. 1.449; - समाव त्रि., ब. स., वापस न लौटने अथवा पीठ न दिखलाने वाला, वीरता के स्वभाव वाला - भयभीरुताभावेन
च अनिवत्तनसभावा अहुम्हा, जा. अट्ठ. 1.449. अनिवत्त-ब्रह्मदत्त पु., व्य. सं., वाराणसी के एक राजा का नाम - बाराणसियं किर अनिवत्तब्रह्मदत्तो नाम राजा अहोसि. सु. नि. अट्ट, 1.90. अनिवत्तिक/अनिवत्तक त्रि., ब. स. [अनिवर्तिक], वापस न लौटने वाला - याव लोकप्पवत्ति, ताव अनिवत्तका धम्माति .... खु. पा. अट्ठ. 123; अनिवत्ति भविस्सामीति पबज्जतो अनिवत्तिको भविस्सामि .... अ. नि. अट्ठ. 3.29. अनिवत्तितग्गहण त्रि., ब. स., बहुत दृढ़ता के साथ विषयभोगों में आसक्त, सुदृढ़ आसक्ति वाला - अवस्थितसमादानोति निच्चलगहणो अनिवत्तितगहणो, दी. नि. अट्ठ. 3.92. अनिवत्ति-धम्म त्रि., ब. स., अपने वचन पर अडिग रहने वाला, विश्वसनीय, भरोसेमन्द - तेसं चित्तं उपत्थम्भेत्वा अनिवत्तिधम्मे कत्वा, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.77. अनिवत्तिमानस/अनिवत्तमानस त्रि., निवत्तिमानस का निषे., ब. स., सुदृढ़ अथवा अडिग मन वाला, वह, जिसका मन अविचलित रहे- अनिवत्तमानसंञत्वा, सम्बुद्धो एतदवि, बु.वं. 354. अनिवत्तिय त्रि., निवत्तिय का निषे., तत्पु. स. [अनिवर्त्य]. वापस न लौटने योग्य, पुनः सांसारिक जीवन में वापस आने के लिए अनिच्छुक अथवा अक्षम; - योध पु., कर्म. स., पीठ न दिखाने वाला या रणभूमि से वापस भाग कर न आने वाला वीर योद्धा - ... महानागा, हथिआदीसुपि अभिमुखं आगच्छन्तेसु अनिवत्तिययोधानं एतं अधिवचनं अ. नि. अठ्ठ. 3.182. अनिवत्ती त्रि., निवत्ती का निषे., तत्प. स. [अनिवर्तिन, क. वापस न लौटने वाला, अध्यवसायी, दृढ़प्रतिज्ञ - अनिवत्ति भविस्सामि, ब्रह्मचरियपरायणो, अ. नि. 1.172; पब्बज्जतो च सब्ब ताणतो च न निवत्तिस्सामि, अनिवत्तको भविस्सामि, अ. नि. अट्ठ. 2.128; ... सुहदया अनिवत्तिनो हुत्वा युज्झथाति आह, जा. अट्ठ. 3.4; ख. सुधार अथवा उपचार न किये जाने योग्य, लाइलाज, असाध्य, अचिकित्स्य
अप्रत्यागमन, अप्रत्यावर्तन - एतेन रत्तिक्खयो नाम जीवितक्खयो तस्स अनिवत्तनतोति दस्सेति, थेरगा. अट्ठ. 2.102; ... एवमेव एकादसविधो अग्गि सब्बसत्ते दहन्तो अनिवत्तमानोव गच्छति, सु. नि. अट्ट, 1.91; -धम्म त्रि.. ब. स., वापस अथवा पीछे की ओर न मुड़ने वाला, पलायन न करने वाला, पीठ न दिखाने वाला, जमा रहने वाला --
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