Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 685
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अब्यसनीयता 658 अव्याधि/अब्याधि [अव्ययीभावसंज्ञको], अव्ययीभाव नाम वाला - उपसग्गनिपातपुब्बको समासो अब्ययीभावसओ होति, क. व्या. 321; - समासो पु०, कर्म स., प्र. वि., ए. व. [अव्ययीभावसमास], अव्ययीभाव नाम वाला समास - सो अव्ययीभावसमासो नपुंसकलिङ्गो व दहब्बो, क. व्या. 322. अब्यसनीयता स्त्री., व्यसनीय के भाव. का निषे., लम्पटता या कामुकता का न होना, दुराचारमयी प्रवृत्ति का अभाव - य तृ. वि., ए. व. - अनाकुला कम्मन्ता नाम काल ताय .... अब्यसनीयताय च ... आकुलभावविरहिता ... कम्मन्ता, खु. पा. अट्ठ. 111. अव्याकत/अब्याकत त्रि., वि + आ + vकर के भू. क. कृ. का निषे. [अव्याकृत], क. अनिर्णीत, अव्याख्यात, निश्चित उत्तर दिए बिना ही छोड़ दिया गया, अनुत्तरित - तं नपुं., प्र. वि., ए. व. - मया अब्याकतं असस्सतो लोको, दी. नि. 1.167; - तानि ब. व. - यानिमानि दिट्ठिगतानि भगवता अब्याकतानि... पटिक्खित्तानि, म. नि. 2.97; ख. अनिश्चित प्रकृति वाला (धर्म), जिसे कुशल या अकुशल के सुनिश्चित वर्गों के अन्दर न रखा जा सके, अनियत, अनेकांशिक - तं नपुं, प्र. वि., ए. व. -- दिद्विगतं अब्याकतान्ति, कथा. 407; अविपाकं अब्याकतं, अभि. अव. 2; -- तो पु.. प्र. वि., ए. व. - कुसलो फरसो अकुसलो फस्सो अब्याकतो फस्सो, महानि. 37; - तेन पु., तृ. वि., ए. व. - अव्याकतेन मग्गेन भवितब्ब, ध. स. अट्ठ. 272; - ता' स्त्री., प्र. वि., ए. व. -- अब्याकता वेदना सुखुमा, विभ. 4; - ता' पु.. प्र. वि., ब. व. - कतमे धम्मा अब्याकता, ध. स. 431; न व्याकताति अब्याकता, ध. स. अट्ठ. 87; अविपाकलक्खणा अब्याकता, तदे.; - ते पु., द्वि. वि., ब. व. - यावता अब्याकते धम्मे ..., पटि. म. 120; - तानं ष. वि., ब. व. - अब्याकतानं पर अनुप्पत्तिहानरस अभावा, पट्ठा. अट्ठ. 335; - कथा स्त्री., कथा. के एक खण्ड-विशेष का शीर्षक, कथा. 407408; - पदनिद्देसो पु., तत्पु. स., प्र. वि., ए. व. [अव्याकृतपदनिर्देश], 'अव्याकत' शब्द का प्रयोग या उल्लेख - अब्याकतपदनिदेसो उत्तानत्थोयेवाति, ध. स. अट्ठ. 376; - पुच्छा स्त्री., तत्पु. स. [अव्याकृतपृच्छा], अव्याकृत धर्मों के विषय में प्रश्न - तिस्सो पुच्छा-कुसलपुच्छा, अकुसलपुच्छा, अब्याकतपुच्छा, महानि. 251; अब्याकतपुच्छाति तदुभयविपरीतधम्मपुच्छा, महानि. अट्ट. 302; - मूल क. नपुं.. तत्पु. स., प्र. वि., ए. व. [अव्याकृतमूल], अव्याकृत धर्मों का मूल आधार - अलोभो अब्याकतमूलं ... पे. .... अदोसो अब्याकतमूलं... इमे धम्मा अब्याकता, ध. स. 5763; ख. त्रि., ब. स., अनिश्चित मूल वाला, ऐसा धर्म, जिसका मूल आधार कुशल या अकुशल के रूप में नियत न रहे - ला पु., प्र. वि., ब. व. - ये केचि अब्याकता धम्मा, सब्बे ते अब्याकतमूला. यम. 1.5; - वग्ग पु., अ. नि. के एक वर्ग का शीर्षक, अ. नि. 2(2).211-235; - वत्थु नपुं., कर्म स. [अव्याकृतवस्तु], ऐसा धर्म, जिसे बुद्ध ने 'कुशल' या 'अकुशल' जैसे नियत वर्गों में नहीं रखा है - त्थूसु सप्त. वि., ब. व. - सुतवतो अरियसावकस्स ... अब्याकतवत्थूसु ...., अ. नि. 2(2).211; अब्याकतवत्थूसूति एकसादिवसेन अकथितवत्थूसु. अ. नि. अट्ठ. 3.173; - विपाक त्रि., ब. स. [अव्याकृतविपाक], ऐसा धर्म, जिसका विपाक 'कुशल' या 'अकुशल' वर्गों में सुनिश्चित न रहे - अब्याकतं विपाक किरियं रूपं निब्बानन्ति, ध. स. अट्ठ. 300; पाठा. अव्याकतविपाक; - संयुत्त नपुं.. स. नि. का एक संयुक्त, स. नि. 2(2).344; स. नि. अट्ठ. 3.150-152; -- हेतु पु.. तत्पु. स. [अव्याकृतहेतु], अव्याकृत धर्मों का कारण - तयो अब्याकतहेतू ..., ध. स. 1059. अव्याकरणधम्म/अब्याकरणधम्म त्रि., ब. स. [अव्याकरणधर्मन्], नियत रूप में धर्मों की व्याख्या न करने की प्रकृति वाला - म्मो पु., प्र. वि., ए. व. - एवं पस्सं एवं अब्याकरणधम्मो होति, अ. नि. 2(2).211. अव्याकुल त्रि., व्याकुल का निषे॰ [अव्याकुल], व्याकुलता से रहित, अविस्खलित, स्थिर, शान्त - ला पु., प्र. वि., ब. व. - ... पदनिक्खेपो च अब्याकुला होन्ति, सु. नि. अट्ठ. 2.235. अव्यादिण्ण/अब्यादिण्ण त्रि.. वि + आ + दा के भू. क. कृ. का निषे. [अव्यादत्त], नहीं छितराया या बिखरा हुआ, अविक्षिप्त, नहीं फैला हुआ - ण्णो पु., प्र. वि., ए. व. - ... अविसटो अब्यादिण्णो दूरङ्गमो... हारहारी च. ..., अ. नि. 2(1).60. अव्याधि/अब्याधि क. त्रि, निषे. ब. स. [अव्याधि], रोग से मुक्त व्याधिरहित, स्वस्थ, नीरोग, कुशल-क्षेम से परिपूर्ण - धि पु., प्र. वि., ए. व. - अव्याधि विसदो होमि, अप. 1.347; - धिं नपुं., वि. वि., ए. व. - अब्याधि अनुत्तरं योगक्खेमं निब्बानं, अ. नि. 1(2).284; ख. स्त्री., निषे. तत्पु. स., रोग का अभाव, स्वस्थता - धि प्र. वि., ए. व. - अब्याधि अभिओय्यो, पटि. म. 11; - क त्रि., ब. स. [अव्याधिक], बीमारी से रहित, स्वस्थ - का पु.. प्र. For Private and Personal Use Only

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