Book Title: Naykarnika
Author(s): Vinayvijay, Sureshchandra Shastri
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय-सूची १-मंगलाचरण और विषय २-नय के भेद ३-वस्तु का उभयात्मक रूप । ४-नैगम नय का लक्षण ५-संग्रह नय का लक्षण ६-संग्रह नय का दृष्टान्त के द्वारा स्पष्टीकरण ७ व्यवहार नय का लक्षण ८- व्यवहार नय का उदाहरण .... t--विशेष धर्म से ही लौकिक कार्य की सिद्धि होती है, सामान्य से नहीं, इस बात का उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण १०- ऋजुसूत्र नय का लक्षण .... २६ ११-ऋजुसूत्र नय का पुनर्वार स्पष्टीकरण १२-ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ और एवंभूत नय भाव निक्षेप को ही मानते हैं इस बात का खुलासा १३-शब्द नय का लक्षण १४-समभिरूड़ नय का लक्षण . .... ३८ १५ - व्यतिरेकि दृष्टान्त के द्वारा समभिरूढ़ नय को पुष्टि ४१ ___ .... २८ For Private And Personal Use Only

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