Book Title: Naykarnika
Author(s): Vinayvijay, Sureshchandra Shastri
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Awwinstr u ar - ~- ~ ~ - ~~ ~ में से ही निक्षेप के विचार का जन्म हुआ है। किसी भी शब्द या वाक्य का अर्थ करते समय उस शब्द के जितने अर्थ-विभाग हो सकते हैं, यह बतलाने में, और प्रस्तुत में वक्ता को कौन-सा अर्थ विवक्षित है और कौन-सा अर्थ संगत है-इस विचारणा में ही निक्षेप-विषयक विचार की उपयोगिता है। उदाहरण के तौर पर “जीव का गुण चेतना है"-किसी ने यह वाक्य बोला | सुनने वाले के मन में यह विचार उठेगा कि 'जीव' शब्द से यहाँ पर कौन-सा अर्थ ग्रहण करना चाहिए ? विचारक को यह समझने में विलम्ब नहीं होगा कि यहाँ पर जीव नामक कोई व्यक्ति, जीव की स्थापना अथवा द्रव्य जीव विवक्षित नहीं है। प्रत्युत चैतन्य धारण करने वाला तत्त्व-भाव जीव ही विवक्षित है। और वही प्रस्तुत वाक्य में संगत भी है। इस प्रकार प्रत्येक शब्द के अर्थ के विषय में गड़बड़ होते समय निक्षेपवादी विचारक स्पष्टतः विवक्षित अर्थ जानकर उस गड़बड़ और असमंजस को दूर कर सकता है। ___ कहने का अभिप्राय यह है कि जब किसी भी सार्थक शब्द के अर्थ पर विचार करना पड़ता है, तो उसके अर्थ कम-से-कम चार मिल सकते हैं । वे चारों प्रकार उस शब्द के अर्थ-सामान्य के निक्षेप-विभाग कहलाते हैं । जो नाम [३१ For Private And Personal Use Only

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