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Naam Ane
नय के भेद
नैगमः
संग्रहश्चैव, व्यवहारजु सूत्र कौ
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शब्दः समभिरूढैवं भूतौ चेति नयाः स्मृताः॥ २ ॥ अर्थ
नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ और एवंभूत - ये सात नय कहे गये हैं ।
विवेचन
प्रस्तुत कारिका में नयों का नाम और संख्या का निर्देश किया गया है। जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ने कहा है कि " वचन के जितने भी प्रकार या मार्ग हो सकते हैं नय के भी उतने ही भेद हैं । वे पर - सिद्धान्त रूप हैं, और वे सब मिलकर जिन शासन रूप हैं
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जावं तो वयरणपहा,
ते चैव य परसमया, सम्मत्तं
तातो वा नया विसद्दाओ ।
समुदिया सव्वे ॥
- विशेषावश्यकभाष्य २२६५
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इस कथन के आधार पर नय के अनन्त प्रकार हो सकते हैं । इन अनन्त भेदों का प्रतिपादन करना हमारी शक्ति की
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