Book Title: Navkar Navlakhi
Author(s): Manjulashreeji
Publisher: Labdhi Vikramsurishwarji Sanskruti Kendra

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभ आशीष मेरे परमोपकारी थे, गुरुवत् पूजनीय परम अध्यात्मरतपू.आचार्यदेवजयंतसूरीश्वरजी म.सा. उनकी अंगुलियाँ हरदम चलती रहती थी। बस, एक मिनिट का भी अवकाश मिला आप नवकार गिनना शुरू कर देते थे। कहते हैं करोड़ों नवकार मंत्र का जाप आपको हो गया था, और पुण्यनामधेय दादा गुरूदेव लब्धि सूरीश्वरजीम.सा.के अंतिम समयतो नवकार महामंत्र का यज्ञ ही बन गया था। बंबई लालबाग की भूमि इस जाप से तीर्थभूमि सी बन गई । इस सबका महत्व मानसपटल पर छाया है। जहाँ सिर्फ एक ही दिन का मुकाम होता है मैं नवलाख नवकार का उपदेश देता हूँ। हृदय में यही हो जाता है कि एक भीजैन ऐसा न हो कि उसने नव लाख नवकार पूर्ण न किया हो। For Private And Personal Use Only

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