Book Title: Navkar Navlakhi
Author(s): Manjulashreeji
Publisher: Labdhi Vikramsurishwarji Sanskruti Kendra
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समरो मंत्र नवकार समरो मंत्र भलो नवकार,एछे चौदह पूरव नो सारएनी महिमा नो नहि पार, एना अर्थ अनंत अपार
समरो मंत्र. १
सुख मां समरो, दुख मां समरो, समरो दिवस ने रात जीवतां समरो, मरता समरो, समरो सहु संगाथ
समरो मंत्र. २
योगी समरे भोगी समरे, समरे राजा रंक देवो समरे दानव समरे, समरे सहु निःशंक.
समरो मंत्र.३
अड़सठ अक्षर एना जानो, अड़सठ तीरथ सार आठ संपदा थी परमाणो, अडसिद्दि दातार,
समरो मंत्र.स.४
नवपद एना नवनिधि आपे, भवोभवनां दुख कापे वीरवचन थी हृदये स्थापे, परमातम पद आपे,
समरो मंत्र.५
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