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* श्री लॅबेचू समाजका इतिहास *
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भी अच्छा न था इस कारण इनकी राजा की उपाधि भी छीन ली गई। मुहकम सिंह १८६७ में मर गये । उनके बाद हुक्म तेज प्रताप सिंह परतापनेर की गद्दी पर बैठे । हुक्म तेजप्रताप सिंह उस समय नावालिग थे। उनकी मां ने अपने पुत्र की नवालगी में रियासत का सब इन्तजाम अपने हाथ में लिया और उनकी व्यवस्था से सन्तुष्ट होकर अंग्रेजों ने १७ मार्च १९०६ में हुक्म तेज प्रताप सिंह को फिर राजा की उपाधि प्रदान की ।
परतापनेर रियासत के इतिहास के साथ-ही-साथ चकर नगर और सहसों तालुके का इतिहास सम्बन्धित है । चकर नगर राज्य की नींव सुमेरशाह के भाई त्रिलोक चंद ने डाली थी । त्रिलोक चंद की पाँचवीं पीढ़ी में चित्र सिंह हुए जिन्होंने राजा की उपाधि ग्रहण की । सन् १८०३ में इस राज्य के शासक राजा रामबक्स सिंह थे। इन्होंने स्वाधीन राजा होने की घोषणा की और अपने आपको शक्तिशाली बनाने के लिये ठग और डाकुओं का एक जबरदस्त गिरोह संगठित किया । अंगरेज इनसे चिढ़े हुए थे ही, उन्होंने राजा रामबक्स सिंह की रियासत पर कब्जा करने