Book Title: Jinaharsh Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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१२५ १२६
[ ५२७ । ४० महाविदेह खेत सुहामणउ
६,२८६ ४१ कागलियउ करतार भणी सी परि लिखें जिनराजसूरि
चौवा सी ] ८० ४२ गोड़ी मन लागउ ४३ मोती ना गीत नी ४४ कोइलउ परवत धुंधलउ रे लो
१२७,२४३ ४५ पालीताणु नगर सुहामणुं रे जाज्यो, रूड़ी ललतासरनी पालि १२६ ४६ नाटणी ना गीत नी
१३२,२४५,३२६,३८० ४७ जीहो मिथला नगरी नउ रानीयउ
[समयसुदर-नमि प्रत्ये० गीत ] १३३,१८४,४५२ ४८ साधु गुण गरुआ रे
१३५ ४६ हीडोलणा नी
१३६ ५० म्हारा आतमराम किण दिन सेज जास्यु
१३७ ५१ रसीया नी
१३८,१७१,१६०,२०० २८५,२६६,४६२ ५२ निंदा करिज्यो कोई पारिकी रे । समयसुदर-निंदावारकस] १४३ ५३ मुखनइ मरकलड़ ५४ नींदड़ली वइरण हुई रही
१५६,२६१ ५५ आधा आम पधारउ पूजि विहरण वेला० ५६ प्रथम भौंरावण दीठउ ५७ थेतर अगला रा खड़िया आज्यो,
रायजादा सहेली लाज्यो राजि १६१,२४२ ५८ वाट का वटाऊ वीरा राजि, वीनती म्हारी कहीयो जाइअरे क० . अब पके दोऊ नीवअ पके, टपक टपक रस जाइ वी० १६१
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