Book Title: Jinaharsh Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 603
________________ [ ५३३ ] ४८६ "१६२ नही जमुनाके तीर उर्ड दोय पंखीया २६३ ते मुझ मिच्छामि दुकडं [ समयसुंदर-पद्मावती आ० ४६६ १६४ आज निहेजोरे दीसे नाहलो [जिनराजसूरि-शालिभद्र। - चौ०] ४७०,५०४ १६५ भावन नी । ४७० “१६६ श्रेणिकराय हुँ रे अनाथी निग्रंथ समयसदर-अनाथी स०४७५ १६७ तुगियागिरि शिखर सोहे - ४७६ १६८ हिवराणी पदमावती [समयसंदर-पद्मावती आ०] ४८२,४८५ १६९ यत्तिनी ४८८ १७० कर जोडी आगलि रही १७१ करम न छूटे रे प्राणिया । समयसंदर-इलापुत्र गीत ] ' ४६१ १७२ मधुर आज रहो रे जन चलउ ४६२ “१७३ क्षमा छत्तीसी नी [ समयसुदर, आदर जीव क्षमा गुण | ४६३ १७४ मन मधुकर मोही रह्यो । जिनराजसूरि चौबीसी] ४६८ १७५ मोहन मुंदड़ी ले गयो । ५०२ १७६ श्री चंदाप्रभु पाहुणोरे [जिनराज-चौवीसी ] ५०३ १७७ चरणाली चामुड रिण चढे १७८ जवद्वीप मझारिए ५०६ “१७६ वीरा बाहुवली गजथकि ऊतरो -१८० आप सुवारथ जग सहू ५८७ ५०५ “५०७

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