Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji
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(११) रिणा मुक्ताश्च १०॥ समनस्का अम नस्काः ११॥ संसारिणत्रसस्थावराः १२ ।। पृथिव्यंदुवनस्पतयः स्थावराः १३ ॥ तेजोवायुझियादयश्च वसाः १५ ॥ पंक्ष्यिाणि १५॥ विविधानि १६॥ निवृत्युपकरणे येश्यिम् १७ । लब्ध्युपयोगी जावेंशियम् १७ ॥न पयोगः स्पर्शादिषु १५॥ स्पर्शनरस नघ्राण चदुःश्रोत्राणि श्जास्पर्शरस गंधरूपशब्दास्तेषामर्थः २१॥ श्रुतम नीशियस्यार्थःश्शा वाय्वंतानामेकम् २३॥ कमिपिपीलिकानमरमनुष्यादी नामेककवृक्षनि श्ा संझिनः सम

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