Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji

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Page 167
________________ : ( १४७ ) हारोपस्थापनानि ५२ ॥ ज्ञानदर्शन चारित्रोपचाराः १३ ॥ श्राचार्योपाध्या यतपस्वि शिक्षकग्लानकुलगण संघला धुमनोज्ञानाम् २४॥ वाचनापृचनानु मेकाम्नायधर्मोपदेशाः २५ ॥ वाह्यास्तरोषध्योः २६ ॥ इत्तम संहननस्यै काप्रचिंता निरोधवध्यानम् २७ ॥ श्र मुहूर्त्तात् २८॥ श्रार्त्तरौइधर्म्यशुक्ला नि २७ ॥ परे मोक्षहेतू ३० ॥ प्रार्त्तमम नानां संप्रयोगे तद्दिप्रयोगायस्मृतिसमन्वाहारः ३१ || वेदनायाञ्च ३२ ॥विपरीतं मनोज्ञानाम् ३३॥ निदा च कामोपहतचित्तानां पुनः ३ द -

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