Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji

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Page 145
________________ (१७) तोदधिद्वीपदिक्कुमाराः ११ ॥ व्यंत राः किंनरकिंपुरुषमहोरग गांधर्वयक राक्षसनूतपिशाचाः १॥ज्योतिष्का सूर्याचंशमलोग्रहनक्षत्रप्रकीर्णताराश्च १३।। मेरुप्रदक्षिणानित्यगतयो नृलो के १४॥ तत्कृतः काल विनागः१५॥ वहिरवस्थिताः १६॥ वैमानिकाः १७ ॥ कल्पोपपन्नाः कल्पातीताश्च १७॥ उपर्युपरिरणासौधर्मेशानसनत्कुमा रमाहेब्रह्मलोकलांतकमहा शुक्रस हस्रारेप्चानतप्राणतयोरारणाच्युतयो नवसुप्रैवेयकेषु विजयवैजयंतजयंताप राजितेषु सर्वार्थसिदे च २० ॥ स्थि

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