Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji

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Page 162
________________ (१५) नचारित्रमोदनीयषायनोकषायवेदक नीयाख्यास्त्रिहियोगशनवनेदाःसम्य तव मिथ्यात्वतबुनयानि कपायनो कषाया वनंतानुवंध्य प्रत्याख्यान प्रत्याख्याना वरण संज्वलन विकल्पा चैकशः क्रोध मान माया लोजाः दा स्य रत्यरति शोक नय जुगुप्लास्त्री पुनपुंसकवेदाः १० ॥ नारक तैर्यग्यो नमानुषदैवानि ११॥ गतिजातिशरी रागोपांगनिर्माणबंधनसंघात संस्थानसंहनन स्पर्शरसगंधवर्णानुपूर्व्यगुरुल धूपघातपराधाता तपोद्योतोबासविहायोगतयः प्रत्येकशरीरत्रस सु गसुस्वरशुन्नसूक्ष्मपर्याप्तस्थिरादेय

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