Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 304
________________ शएश . जैनकथा रत्नकोष नाग पदेलो. जे. ब्रह्मचर्यादिकें करी काया शुक्ष थाय जे एम गंगाना जल विनाज ते पू ोक्त सर्वशुम श्राय जे. परंतु गंगाजलथी ते कांश शुक्ष थातुं नथी. .. वली तुं करेले के तमें लोको पासें पूजा करावो बो. ते पण तें सत्य कयुं नथी जे माटें कयुंजे के॥ श्लोक ॥धूजां ह्येते जनाः स्वस्य,कारयति न जातुचित् ।। स्वयमेव जनः किंतु, गुणरक्तः करीति तत् ॥ नावार्थः-लोको जे अमोने पूजे जे, ते स्वयमेव एटले पोतानी.मेलेंज अमारामां गुणो जोइने पूजे जे.कारण के जन , ते गुणरत्नयुक्त जे. अर्थात् सर्व माणस जो गुण जोए ने तो पूजे. पण एमां कां नवाइ नथी. तथा तें कर्तुं के ब्राह्मणनी पूजा करनारो स्वर्ग जाय , ते पण अस त्य ले. केम के ब्राह्मण तो अपवित्र, अब्रह्म सेवनारा, खेती करनारा, घर मां गाय नेंशादिक पशु तथा बोरु वाबरुने राखी तेनुं पालन करनाराडे, तेमज रीशाल अने निर्दयी होय ,माटें तेने पूजवायी स्वर्ग प्राप्त न थाय ? . वली तें कह्यु के अमें यज्ञमां बागनो वध करी स्वर्ग मोकलीयें बैयें, ए वा पुण्यात्मा बैये! ते पण तहारं बोलवू असत्य . जे माटें तहाराज शा स्त्रमा कडं जे के ॥श्लोक। यूपं हित्वा पगून हत्वा,कृत्वा रुधिरकर्दमम्॥ यद्यैवं गम्यते स्वर्ग, नरके केन गम्यते ॥१॥नावार्थः-यूपने बेदीने, पगुने मा रीने जयंकर हिंसाथी-लोहीनो कचरो करीने ज्यारें स्वर्गमां जाय, त्यारें पड़ी नरकमां कोण जाय? अर्थात् को जायज नहिं. एवी युक्तिये सर्व नगरनां लोक देखतां थकां शिष्ये अग्निशर्मा ब्राह्मणने हराव्यो, तेथी ब्राह्मण रोपे जयो थको पोतीने घेर जतो रह्यो..पनी रात्रिय एकलो वनमांहे आवी सर्व साधु निडामा हता, तेमने पाटुप्रहार दीधा, मुष्टियोना प्रहार दीधा, तेने वनदेवतायें हांक्यो पकड्यो. पनी तेना बेतु पग शक्तियें करी द्या. तेनी पीडाथी टलवलतो प्रनातें लोकोयें दीठो,तेनुं स्वरूप सर्व लोकोने जाणवामां आव्युं. तेवारे सर्व तेनी निंदा करवा ला ग्या. एवी रीतें साधुननीयर्वज्ञा करी, ते पापीष्ट मरीने पहेली नरकें जय नारकीपणे ऊपनो, तिहाथी निकली को दरिडीने घेर पासड एवे नामें पुत्र थयो. तिहां पूर्वकृत कर्मने दो करी मूक थयो. ढूंटो थयो. जन्मतांज माता मरी गइ, अने जेवारें आठ वर्षनो थयो, तेवारें तेनो पिता देवशर ण थयो. लोकोनुं दासपणुं करी पेट नरवा लाग्यो..सर्व जनोने अगम

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