Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 318
________________ 306 जैनकथा रत्नकोष नाग पहेलो. न देवाय !.एम विचारी एक जूनी दस्तिनी शाला हती तेने अरग लगाडी पोतें श्रीवीरना समोसरण नणी चाल्यो. तिहां श्रेणिके श्रीवीरने पूब्यु के हे जगवन् ! महारी स्त्री चेलणा सती में, किंवा असती ? प्रनुये कह्यु चेला महाराजानी पुत्रीयो साते सतीयो . ते सांगली श्रेणिक पाडो बल्यो. गाम मां आग बजती दीती. मार्गमां अनयकुमार मल्यो तेने राजायें पूछयु के. अंतेनरने आग लगाडी ? अनये कह्यु के. हा स्वामी ! बाग लगाडी तेवारें श्रेणिकें रोष आणीने का के तुं केम न बढ्यो ? माटे तुं महारा थी दूर जा. तेवारें अनयकुमारें कडं के मने आपनो आदेश जोतो हतो सरली आगमांहे पेसी कार्यसाधन करगुं? एम कही समोसंरणे जश् श्रीवीर ने हाथे दीदा लीधी,राजा श्रेणिक पण फरी समोसरण जणी चाल्यो.ते जेट लामां राजा श्रेणिक याव्यो,एटलामां तो अनयकुमार दीदा लश्ने साधुना समुदायमां जय बेठा. तेमने राजायें आवीने वांद्यो, अपराध खमाव्यो. अ जयकुमार,झान, दर्शन, चारित्र पाली सर्वार्थ सिझविमानें पहोता. ते एका वतारी थइ मोदे जाशे, इति अनयकुमार कथा // महिहारं वीररत्न,श्रीदं गौ रतनुं मतम् // जितैनसं सूर्यरम्यं, प्रणामामि मुहुर्मुहुः // 1 // एकादरांतरितं नामत्रयं // एम अडतालीश टहानी उत्तरो परमेश्वरें कह्या // // गाथा // जं गोयमेण पुठं, तं कहियं जिणवरेण वीरेण // नवानावेह सया, धम्माधम्मं फलं पयडं // 63 // अडयालीसा पाह, तरेहिं गाहाण हो चउसहि // संखेवेणं नणिया, गोयम टला महनावि // 6 // नावार्थः-जे कांश पुण्यपापनां फल श्रीगौतमस्वामी पूब्यां, ते सर्व जिनवर श्रीमहावीस्वामीयें कह्यां.ते नो जव्यलोको ! तमें जावें करी सदैव धर्म अधर्मना फलने प्रगट विचारों धर्म आदरो // 63 // हवे ए शास्त्रमा प्रश्नोत्तरनी गाथानी संख्या कहे . अडतालीश प्रश्नोत्तरें करी चोशन गाथा थइ. एवो श्रीगौतमप्टना रूपजे शास्त्र ते जो पण महाअर्थरूप ले तोपण आही संदेपथी कह्यो॥६॥ इतिबालाबोधसहितं गौतमप्टबाशास्त्रं संपूर्णम्॥ 6ABARDMRDASukuma43. . A RSasaram COMAUSPICS

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