Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 23 Author(s): Haribhai Songadh, Premchand Jain, Rameshchandra Jain Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation View full book textPage 2
________________ श्री खेमराज गिड़िया जन्म : 27 दिसम्बर, 1918 देहविलय : 4 अप्रैल, 2003 श्रीमती धुड़ीबाई गिड़िया जन्म : 1922 देहविलय : 24 नवम्बर, 2012 आप दोनों के विशेष सहयोग से सन् १९८८ में श्रीमती धुड़ीबाई खेमराज गिड़िया ग्रन्थमाला की स्थापना हई, जिसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष धार्मिक साहित्य एवं पौराणिक कथाएँ प्रकाशित करने की योजना का शुभारम्भ हुआ। इस ग्रन्थमाला के संस्थापक श्री खेमराज गिड़िया का संक्षिप्त परिचय देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं - जन्म : सन् १९१८ चांदरख (जोधपुर) पिता : श्री हंसराज, माता : श्रीमती मेहंदीबाई शिक्षा/व्यवसाय : प्रायमरी शिक्षा प्राप्त कर मात्र १२ वर्ष की उम्र में ही व्यवसाय में लग गए सत्-समागम : सन् १९५० मेपूज्य श्रीकानजीस्वामी का परिचय सोनगढ़ में हुआ। ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा : सन् १९५३ में मात्र ३४ वर्ष की आयु में पूज्य स्वामीजी से सोनगद में अल्पकालीन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लेकर धर्मसाधन में लग गये। विशेष : भावनगर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में भगवान के माता-पिता बने। सन् १९५९ में खैरागढ़ में दिग. जिनमंदिर निर्माण कराया एवं पूज्य गुरुदेवश्री के शुभहसे प्रतिष्ठा में विशेष सहयोग दिया। सन् १९८८ में ७० यात्रियों सहित २५ दिवसीय दक्षिण तीर्थयात्रा संघ निकाला एवं व्यवसाय से निवृत्त होकर अधिकांश समय सोनगढ़ में रहकर आत्म-साधना करते थे। हम हैं आपके बताए मार्ग पर चलनेवाले पुत्र : दुलीचन्द, पन्नालाल, मोतीलाल, प्रेमचंद एवं समस्त गिड़िया कुटुम्ब । पुत्रियाँ : ब्र. ताराबेन एवं ब्र. मैनाबेन ।Page Navigation
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